डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया:पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा नवरात्रि से एक दिन पहले महालया पर्व से शुरू होती है। इस बार 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है, लेकिन बंगाल में महालया पर्व आज यानी बुधवार को मनाया जा रहा है। पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन मनाए जाने वाले इस पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे पितृपक्ष और नवरात्रि के संधिकाल के रूप में भी जाना जाता है।
पारंपरिक अनुष्ठान और तैयारी
महालया पर्व के दिन सुबह चार बजे लोग चंडी पाठ सुनते हैं, जिसका प्रसारण रेडियो पर किया जाता है। इस अवसर पर लोग मां दुर्गा के घर आगमन की वंदना करते हैं। इसके बाद गंगा नदी में स्नान करके अपने पितरों का तर्पण किया जाता है। तर्पण के बाद ही लोग दुर्गा पूजा की तैयारी में जुट जाते हैं, जिसमें मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जाता है।
मूर्ति निर्माण की परंपरा
महालया के दिन, मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखों को आकार देते हैं, जिसे चक्षुदान कहा जाता है। इसके बाद प्रतिमा पर रंग चढ़ाया जाता है और इसे जीवंत रूप में पंडालों में सजाया जाता है। इस दिन की मान्यता के अनुसार, देवताओं ने महिषासुर राक्षस के अंत का आह्वान मां दुर्गा से किया था। महालया पितृपक्ष के आखिरी दिन होने के कारण इसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है।
इस तरह, महालया पर्व पश्चिम बंगाल में नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है और इसके साथ ही एक नई धार्मिक एवं सांस्कृतिक यात्रा की शुरूआत होती है।
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