डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में स्वास्थ्य विभाग की एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक हुई। इस बैठक में स्वास्थ्य सेवाओं की प्रगति और गुणवत्ता की गहन समीक्षा की गई, जिसमें संस्थागत प्रसव, टीकाकरण, कुपोषण, परिवार नियोजन, ममता वाहन और गैर-संचारी रोगों की रोकथाम जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल थे। उपायुक्त ने स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने, स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन और दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
स्वास्थ्य सेवाओं में संवेदनशीलता और पारदर्शिता की आवश्यकता
उपायुक्त ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति आमजन का विश्वास बहाल करने पर जोर दिया। उन्होंने सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया। जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का सख्त निर्देश दिया गया, और कहा गया कि इस संबंध में किसी भी शिकायत के लिए संबंधित बीएएम, बीडीएम, डीपीएम, डीएएम जिम्मेदार होंगे। उन्होंने समाज कल्याण विभाग, सीडीपीओ और महिला पर्यवेक्षिकाओं के साथ समन्वय स्थापित कर पहले एएनसी (गर्भावस्था पूर्व देखभाल) पंजीकरण में सुधार के लिए सेवाओं को ग्राम स्तर तक ले जाने का निर्देश दिया।
संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता और गैर-जवाबदेही पर कार्रवाई
उपायुक्त ने जिले में अधिकतम संस्थागत प्रसव सुनिश्चित करने पर जोर दिया, जिसमें आशा दीदियों, एएनएम और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि प्रसव घरों में हो रहा है, तो संबंधित कर्मियों की जवाबदेही तय की जाएगी। जननी सुरक्षा योजना और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी योजनाओं का लाभ सभी लाभार्थियों को दिलाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि कोई भी योग्य लाभार्थी स्वास्थ्य योजनाओं के लाभ से वंचित न रहे।
टीकाकरण में पिछड़े क्षेत्रों में अभियान तेज करने के निर्देश
पोटका, पटमदा और बहरागोड़ा प्रखंडों में टीकाकरण की प्रगति संतोषजनक नहीं पाई गई। उपायुक्त ने इन क्षेत्रों में स्वास्थ्यकर्मियों को घर-घर जाकर सत्यापन करने और छूटे हुए लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करने का निर्देश दिया। बैठक में यह भी पाया गया कि कई आंगनबाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर स्वास्थ्यकर्मी नियमित रूप से उपस्थित नहीं रहते हैं। उपायुक्त ने निगरानी व्यवस्था मजबूत करने और सख्ती बरतने के साथ-साथ उपलब्ध मानव संसाधन का प्रभावी उपयोग करने का निर्देश दिया।
कुपोषण उपचार केंद्रों में बेड ऑक्यूपेंसी बढ़ाने पर जोर
सीएचसी बहरागोड़ा स्थित कुपोषण उपचार केंद्र में बेड ऑक्यूपेंसी बढ़ाने का निर्देश दिया गया। इसके अतिरिक्त, काउंसलिंग के लिए प्रशिक्षित और संवेदनशील स्टाफ की तैनाती तथा एमटीसी में ठहराव के लाभ-हानि को सचित्र रूप से प्रदर्शित करने की बात कही गई, ताकि जन-जागरूकता बढ़े और कोई भी बच्चा कुपोषण से ग्रस्त न हो। परिवार नियोजन के तहत नसबंदी जैसे स्थायी उपायों को प्रखंड स्तरीय सीएचसी की क्षमता के अनुरूप योजनाबद्ध तरीके से लागू करने, सभी चिकित्सीय संसाधनों को अपडेट रखने और ऑब्जर्वेशन प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग बढ़ाने पर बल
चाकुलिया और जुगसलाई क्षेत्रों में गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग गतिविधियों को सशक्त बनाने का निर्देश दिया गया। उपायुक्त ने कहा कि कार्य में उदासीनता बरतने वाले स्वास्थ्यकर्मियों की पहचान कर उनके विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने ममता वाहन की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसमें स्थानीय लोगों को भी जोड़कर उन्हें प्रशिक्षित और प्रोत्साहित किया जाए। वहीं, मॉनसून में डेंगू और मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों की रोकथाम हेतु विशेष सतर्कता बरतने, फॉगिंग, जागरूकता अभियान और नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के तहत सभी गतिविधियों की कड़ी निगरानी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। बैठक में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम, टीबी उन्मूलन अभियान और एनीमिया मुक्त भारत अभियान की भी समीक्षा की गई। विशेष रूप से पटमदा और मुसाबनी के दूरस्थ क्षेत्रों में एनीमिया जांच अभियान का विस्तार करने के निर्देश दिए गए।