बिहार में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसको लेकर सियासी हलचल जोरों पर है। एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ताबड़तोड़ घोषणाएं कर रहे हैं। तो दूसरी तरफ विपक्षी दलों के महागठबंधन ने भी अपनी चाल चल दी है। विपक्षी महागठबंधन ने बड़ा ऐलान किया है कि रक्षाबंधन के बाद पूरे राज्य में रैली और यात्रा की जाएगी। इसमें खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव शामिल होंगे।

रक्षा बंधन के बाद अगस्त क्रांति
बिहार में चुनाव की तारीखों के ऐलान के पहले राष्ट्रीय जनता दल की अगुवाई वाला महागठबंधन भी एक्टिव होने जा रहा है। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ने को ऐलान किया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव समेत राष्ट्रीय स्तर के कई नेता अगस्त के दूसरे हफ्ते से राज्यभर में जनसभाएं करेंगे। महागठबंधन की बैठक के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि पिछले दस दिनों में बिहार में सौ के करीब हत्याएं हुई हैं। कैग रिपोर्ट में भ्रष्टाचार सामने आया है। इस मुद्दे को लेकर हम लोग जनता के बीच जाएंगे। इसे लेकर बैठक में चर्चा हुई है। रक्षा बंधन के बाद हम महागठबंधन के सभी बड़े नेता, जो राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं, जनता के बीच जाएंगे। मैं खुद भी जनता के बीच जाऊंगा। आने वाला महीना अगस्त है और हम लोग अगस्त क्रांति करेंगे।
राहुल गांधी भी शामिल होंगे
महागठबंधन की समन्वय समिति के अध्यक्ष तेजस्वी ने कहा कि यात्रा में राहुल गांधी भी शामिल होंगे। गठबंधन के नेता बूथ स्तर तक जाएंगे और जनता के बीच मौजूदा एनडीए सरकार की नाकामी को बताएंगे। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में 70 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है। चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट रिवीजन में मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं। कानून-व्यवस्था का बुरा हाल है। गठबंधन के नेता इन सभी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे।
भारतीय इतिहास में अगस्त में क्रांति का महत्व
अगस्त का महीना भारत की आजादी के लिए बेहद अहम माना जाता है। आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी की अगुवाई में भारत ने 1942 में अपना सबसे बड़ा आंदोलन अंग्रेजों ‘भारत छोड़ो’ चलाया था। महात्मा गांधी ने इस आंदोलन की शुरुआत 8 अगस्त से की थी। तब उन्होंने भारतीयों के लिए ‘करो या मरो’ का अमर नारा दिया था। इस क्रांति को “अगस्त क्रांति” भी कहा जाता है। ‘भारत छोड़ो’ के इस बड़े आंदोलन की वजह से अंग्रेजों की सत्ता भारत में कमजोर पड़ गई और उन्हें भारत छोड़ने की योजना बनाने को मजबूर होना पड़ा। इस आंदोलन के 5 साल बाद इसी महीने में भारत को आजादी भी मिली थी। विपक्षी दल ‘अगस्त क्रांति’ के माध्यम से जनता को अपने साथ जोड़ने का काम करने जा रही है। अब देखना ये होगा की महागठबंधन इसमें कितना कामयाब हो पाती है।