Bihar: बिहार में सांसद-विधायक से जुड़े मामलों की जांच में नहीं चलेगी कोताही, लापरवाह अधिकारियो के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी 

Neelam
By Neelam
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आपराध चाहे किसी ने भी किया हो, कानून की नजर में सब बराबर होते हैं। हालांकि, ये बातें किताबी ज्यादा लगती है। कई बार विधायकों, सांसदों, मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों के मामले में ढिलाई देखी गई है। अब बिहार में ऐसा नहीं चलेगा। बिहार में अब विधायकों, सांसदों, मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी की जाएगी। इस संबंध में पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने सभी जिलों के एसपी को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। पुलिस मुख्यालय ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी अनुसंधानकर्ता द्वारा जानबूझकर जांच में देरी की जाती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ऐसे अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

पटना हाईकोर्ट भी कर रहा निगरानी

पुलिस मुख्यालय के अनुसार सभी जिलों से ऐसे मामलों की सूची मांगी गई है, जिनकी जांच लंबे समय से लंबित है, खासकर वे मामले जो माननीयों से संबंधित हैं और जिन पर अक्सर सवाल उठते हैं। पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर और पूर्णिया जैसे जिलों में माननीयों के खिलाफ सबसे अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। पटना हाईकोर्ट भी वर्तमान और पूर्व सांसदों तथा विधायकों के विरुद्ध लंबित मामलों की निगरानी कर रहा है। अदालत ने इन मामलों के त्वरित निपटारे के लिए विशेष अदालतों को निर्देश जारी किए हैं।

जिला स्तर पर एसपी करेंगे इन मामलों की मॉनिटरिंग

डीजीपी विनय कुमार के निर्देश के अनुसार, ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जिला स्तर पर एसपी को सौंपी गई है, जो खुद इन केसों की निगरानी करेंगे। साथ ही हर सप्ताह इन मामलों की अद्यतन रिपोर्ट संबंधित डीआईजी और आईजी को भेजनी होगी। डीआईजी इन रिपोर्टों की समीक्षा कर पुलिस मुख्यालय को अवगत कराएंगे।

45% विधायकों और 38% सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की 2025 की रिपोर्ट की मानें तो, बिहार में 45% विधायकों और 38% सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से कई गंभीर अपराधों की श्रेणी में आते हैं, जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध। चुनावों के दौरान धोखाधड़ी, नियमों का उल्लंघन, और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने जैसे आरोप भी आम हैं।

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