Bihar: पवन सिंह की बीजेपी में री-एंट्री, पहले उपेंद्र कुशवाहा फिर अमित शाह से भी मिले “पावरस्टार”

Neelam
By Neelam
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बिहार की राजनीति में आज बड़ा घटनाक्रम सामने आया, जब भोजपुरी स्टार पवन सिंह की मुलाकात राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से हुई। उसके बाद पावर स्टार पवन सिंह आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर पहुंचे। इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री विनोद तावड़े ने पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात करवाई। इस मुलाकात के पहले चर्चा थी कि पवन सिंह आरएलएम में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, मुलाकात के बाद विनोद तावड़े ने कहा कि पवन सिंह बीजेपी के कार्यकर्ता के तौर पर पूरी मजबूती से काम करेंगे।

बिहार में चुनाव की घोषणा से पहले हलचल तेज हो गई है। इसी बीच भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने आज राज्य की राजनीति की सियासी फिजा को गरमा दिया। पहले पवन सिंह ने आरएलएम के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की। इसके तुरंत बाद वो विनोद तावड़े संग गृह मंत्री अमित शाह से मिले हैं। मुलाकात के बाद पवन सिंह ने मीडिया से कोई बातचीत नहीं की। वो हाथ जोड़ते हुए निकल गए।

मगध-शाहाबाद क्षेत्र में साथ मिलकर काम करेंगे कुशवाहा और पवन सिंह

अमित शाह और पवन सिंह की इस खास मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। दरअसल, अमित शाह ने खुद बिहार चुनाव के लिए मोर्चा संभाल रखा है। पिछली बार के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में बीजेपी को शाहाबाद इलाके में झटका लगा था। यहां तक कि खुद उपेंद्र कुशवाहा तक लोकसभा का चुनाव हार गए थे। शाहाबाद क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में एनडीए का बहुत खराब प्रदर्शन रहा इसमें पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के समर्थकों के बीच तनाव की स्थिति का बड़ा रोल रहा। ऐसे में मगध और शाहाबाद क्षेत्र में एनडीए की मजबूती लाने के लिए दोनों नेता मिलकर काम करेंगे।

बीजेपी के लिए क्यों जरूरी बने पवन सिंह?

दरअसल, बिहार में एक बड़ी फैन फॉलोइंग का आधार रखने वाले पवन सिंह का चुनावी प्रभाव जाति और स्टारडम के संतुलन के लिए अहम भूमिका निभाता है। पूर्व बीजेपी नेता रहे सिंह को पिछले साल पार्टी से निकाल दिया गया था। अब उन्हें और उपेंद्र कुशवाहा को एक साथ लाना एक मास्टरस्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है। पवन सिंह को बिहार के चुनाव में जाति-आधारित वोट बैंक के लिए काफी अहम माना जा रहा है। कराकट लोकसभा के शाहाबाद में जातिगत समीकरण एक अहम कारक है। यहां पर 2020 के विधानसभा चुनावों में एनडीए को कुल 22 सीटों में से सिर्फ दो ही सीटों पर जीत मिली थी। विशेषज्ञों का मानना है कि पवन सिंह की बगावत की वजह से बीजेपी को आरा, कराकट, औरंगाबाद और बक्सर लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था।

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