- वट सावित्री पूजा की तैयारियों में जुटी शहर की महिलाएं
जमशेदपुर, संवाददाजमशेदपुर। पति की दीर्घायु सलामती और सेहत की कामना को लेकर महिलाएं 30 मई को विधि विधान से वट सावित्री की पूजा करेंगी। इसको महिलाओं में खास उत्साह देखा जा रहा है। महिलाएं उनकी तैयारियों में पूरी तरह जुट गई है।
इस वट सावित्री के व्रत पर शुकर्मा संयोग बनने जा रहा है। 30 मई को ही शनि जयंती भी है और सुबह 7 बजकर 12 मिनट पर सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होने वाला है जो कि 31 मई की सुबह 5 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। वहीं इस बार शुकर्मा योग भी बन रहा है। जो सूर्योदय के बाद शुरू होगा और रात 11:39 तक रहेगा। ज्योतिषविदों के अनुसार, इस खास योग में अगर सुहागन महिलाएं पूजा करती है तो सदा सुहागन वरदान के साथ पुत्र वरदान भी मिलेगा। वही सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन बना रहेगा इस दौरान पूजा करने से व्रती को कई गुना ज्यादा फल मिलेगा। वट सावित्री व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किए गए दान-पुण्य का कई गुना फल मिलता है।
मिथिला समाज की महिलाएं मनाती है बरसाइत पर्व:;
वट सावित्री व्रत को मिथिला की महिलाएं बरसाइत पर्व के रुप में मनाती हैं। इस पर्व में बरगद के वृक्ष (बरक गाछ) का विशेष महत्व है। यह दीर्घजीवी वृक्ष होता है। पीपल के बाद यह सर्वाधिक आक्सीजन प्रकृति को देता है। इसके पत्ते, छाल भी मनुष्य को निरोग रखने में सहायक होता है। हिंदू परंपरा में इसे पूज्य माना गया है। इस वृक्ष को शिव जी का प्रतीक भी माना जाता है। यह प्रकृति के सृजन का प्रतीक है। इसलिए संतान के इच्छित लोग इसकी विशेष पूजा करते हैं। इसी कारण वट सावित्री व्रत में सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग अर्थात पति की लंबी आयु के लिए बरगद के पेड़ का पूजा करती हैं और सात बार सूत लपेटने के क्रम में इस वृक्ष का परिक्रमा भी करती हैं। बरगद का वृक्ष भगवान शिव का प्रतीक है। अभिमानी कामदेव का विध्वंस करने वाले शिव एक पत्नी व्रत के अद्वितीय, अनुपम, अद्भुत, भव्य एवं देदीप्यमान आदर्श हैं। इसी कारण सुहागिन स्त्रियां बरगद के पेड़ के नीचे वट सावित्री का व्रत करती हैं।