मिरर मीडिया : सरकारी कार्यालय में सरकार के बैठे सरकारी नौकर और जनता के सेवक कहे जाने वाले अधिकारी की ठाठ बोलें तो जैसे ये किसी निजी संस्थान को चला रहें है। सरकार के नियम कानून और समय के अनुसार सरकारी कार्यालय का संचालन जनता के कार्यों और सुविधा के लिए किया जाता है पर एक ऐसा सरकारी कार्यालय जहाँ अधिकारी तो अधिकारी यहां बाबू के हिसाब से कार्यालय चलता है। चौँकिये नहीं ये बाबू सरकारी नौकर या अधिकारी के पद का नाम है और नाम के जैसा काम भी साहब के कार्यालय आने का कोई समय तय नहीं है। यहाँ तक कि विभाग के कर्मचारियों को भी नहीं पता कि बाबू कब आएंगे कार्यालय।
लिहाजा बाबू से काम कराने के लिए लोगों को घंटों या कई दिन तक भी इंतजार करना पड़ता है। यहां बात हो रही है परिवहन विभाग की जहां के कार्यरत बाबू अपने पूरे आनंद और अपने मगन में रहते हैं। ठाठ ऐसा कि चैंबर में शानदार एसी, और बैठने के लिए रिवोलविंग चेयर लगा हुआ है। उसपर से भी काम काज करने का अंदाज भी कुछ अलग है। फाइल पर हस्ताक्षर करने से पहले फाइल के काम का अंदाजा लगा लेते हैं तब जाकर कहीं फाइल पर हस्ताक्षर करते हैं। फाइल की गिनती भी आंखों ही आखों में कर लेते हैं। सबसे बड़ी बात है कि यह बाबू एक चयनित सीरीज का ही काम करते हैं जबकि यहां लोगों को इनसे काम कराने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। दुर-दराज से लोग आते हैं इनके नहीं मिलने पर वापस लौट जाते हैं। इनको कुछ बोलने या कुछ पूछने की हिम्मत विभाग में किसी को नहीं है। कुल मिलाकर परिवहन विभाग के बाबू को आनंद ही आनंद है।