मिरर मीडिया : धनबाद हीरक रोड स्थित एक प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूल वैसे तो आए दिन विवादों से घिरा रहता है पर इस बार स्कूल प्रबंधन और वहां के शिक्षिका पर अमानवीय व्यवहार को लेकर आरोप लगे हैं। आपको बता दें कि मामला सैनिटरी पैड देने में अव्यवहारिकता को लेकर है। इस बाबत पीड़ित के परिजनों द्वारा शिकायत भी की गई है। शिकायतकर्ता ने मानसिक प्रताड़ना का भी आरोप लगाया था। जांच में यह बात सामने आई है कि सैनिटरी पैड लेने में छात्रा को कुछ समय लगा है। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी द्वारा स्कूल में नौवीं की छात्रा के साथ हुए अमानवीय व्यवहार की जांच शुरू कर दी गई है। जांच अधिकारी क्षेत्रीय शिक्षा पदाधिकारी मिथिला टुडू ने बुधवार को स्कूल पहुंच कर इस मामले में स्कूल प्रबंधन से पूछताछ की। उन्होंने पूछा कि जब स्कूल में फर्स्ट एड की व्यवस्था निश्शुल्क है तो सैनिटरी पैड जैसे अत्यंत आवश्यक वस्तु के लिए 10 रुपये क्यों लिये जाते हैं?
हालांकि इस पर स्कूल प्रबंधन की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं मिला है। जांच के दौरान उन्होंने आरोपित शिक्षिकाओं से भी पूछताछ की। उन्होंने बताया कि उस शिक्षिका को प्रबंधन की ओर से छात्राओं को सैनिटरी पैड देने की जिम्मेवारी दी गई है। बाद में शिक्षिका से भी पूछताछ की गई। पूछताछ के क्रम में शिक्षिका ने स्वीकार किया कि उन्होंने पीड़ित छात्रा से 10 रुपये लेने के बाद ही पैड दिया था। हालांकि अपना बचाव कर बताया कि पैड देने में इसलिए विलंब हुआ, क्योंकि जिस कमरे में सैनिटरी पैड रखा था, उसके दरवाजे पर ताला लगा था। जिस कर्मचारी के पास चाबी थी, उसे बुलाया गया और तब छात्रा को सैनिटरी नैपकिन दी गई।
बहरहाल जो भी हो इस तरह के जरुरी वस्तुओं का कभी भी अचानक से उपयोग किया जाता है जिसकी कोई समय सीमा नहीं है तो ऐसे जरुरी चीजों के लिए इतनी लापरवाही कहाँ तक जायज है। वहीं इसके इतर झारखंड अभिभावक महासंघ के एक प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष पप्पू सिंह, महासचिव मनोज मिश्रा व अन्य ने इस मामले में जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी भूतनाथ रजवार से मिल कर इस पर आपत्ति दर्ज कराई। महासंघ ने मांग की कि जांच अधिकारी को पीड़िता को साथ ले जाना चाहिए था।
मामले में जिले की क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी मिथिला टुडू सैनिटरी पैड मामले की जांच की गई। जांच के दौरान स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि सैनिटरी नैपकिन के बदले छात्राओं से टोकन मनी ली जाती है। टोकन मनी नहीं देने पर भी उनकी सहायता की जाती है। हालांकि सैनिटरी पैड फर्स्ट एड से जुड़ा है। इसके लिए कोई शुल्क नहीं होना चाहिए। जांच की पूरी रिपोर्ट जिला शिक्षा पदाधिकारी को सौंप दी जाएगी। उसके आगे की कार्रवाई डीईओ करेंगे।