मिरर मीडिया : शहर की सौंदर्यीकरण और चाक चौबंद व्यवस्था को पटरी पर लाने हेतु संसाधनों के साथ लिए गए फैसले और सुझाव पर अमल करना बेहद जरूरी है। मगर धनबाद में अधिकारियों की इच्छाशक्ति में उदासीनता के कारण व्यवस्था पटरी से बाहर है।
सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा समिति की हर माह एक ऑफलाइन व एक ऑनलाइन बैठक करने के निर्देश जारी किए हैं मगर सड़क सुरक्षा समिति की बैठक कभी तीन तो कभी चार महीने में होती है। और तो और, जो बैठक हुई भी तो उसमें लिए गए निष्कर्ष हवा में ही उड़ जाते हैं। इन पर अमल भी नहीं होता। जिसके कारण सड़क सुरक्षा में बने नियमो का तार-तार हो रहा है और दुर्घटनाएं भी अपने चरम पर हो रही है।
उपायुक्त की अध्यक्षता में दुर्घटनाओं की रोकथाम व सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर 28 सितंबर को समीक्षा की गई थी और कई निर्णय लिए गए। हादसों पर रोक लगाने तथा सेफ्टी एक्शन प्लान को सख्ती से लागू करने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए गए थे। अधिकारी उपायुक्त के आदेश पर सिर हिलाकर हामी भरते रहे, बावजूद निर्णयों को अमलीजामा पहनाया नहीं गया।
सड़क सुरक्षा समिति में लिए गए निर्णय👉🏻
💥सड़क दुर्घटना पर नियंत्रण को लेकर स्थाई चेकपोस्ट बनाना तथा सड़क चौड़ीकरण कर अवैध कट को 15 दिनों में बंद करना।
💥अंधे मोड़ में चेतावनी संकेतक लगने तथा सड़क पर लगने वाली सब्जी मंडी, दुकानें, आवास, होटल की पहचान कर 10 दिन में हटाने के निर्देश।
💥मुख्य सड़कों से जुड़े 156 लिंक मार्ग में जंक्शन प्वाइंट से 20 मीटर पहले गति अवरोधक बनाना
💥हिट एन रन के मामले की पहचान कर मुआवजा भुगतान की कार्रवाई हो।
💥यातायात विभाग द्वारा सघन जांच अभियान चलाना तथा नगर निगम द्वारा सिविल कोर्ट, परिसदन के समीप से अतिक्रमण हटाना।
जमीनी हकीकत👉🏻
💥अवैध कट बंद नहीं हुए, सड़क का भी नहीं हुआ चौड़ीकरण
💥जानकारी के अनुसार एक भी हिट एन रन मामले में भुगतान नहीं हुए
💥सिविल कोर्ट परिसर से नही हट पाया अतिक्रमण, पथ निर्माण विभाग की सड़कों पर आज भी सजते हैं बाजार।
💥पेट्रोल पंपों पर अवैध रूप से खड़े रहते है वाहन, हाइवा चालकों की लाइसेंस जांच पड़ी सुस्त।