जमशेदपुर : प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला पारंपरिक आदिवासी विशु शिकार इस साल भी 30 अप्रैल व 01 मई को मनाया गया। इस वर्ष काफी कम संख्या में लोग सेंदरा पर्व में शामिल हुए। वन्यप्राणी आश्रयणी में किसी भी वन्यजीव का शिकार नहीं हुआ। सेंदरा समिति के सदस्य फदलोगोड़ा गए जहां वनदेवी की पूजा पारम्परिक रिति-रिवाज के साथ किया गया। विभिन्न चेक नाकों पर तैनात वन कर्मियों द्वारा समझा-बुझाकर सेंदरा पर्व में भाग लेने वाले व्यक्तियों को वापस भेज दिया गया। सेंदरा पर्व पर अवैध शिकार के रोकथाम के लिए रांची से प्रधान मुख्य वन संरक्षक शाशीकर सामंत व मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एसआर नटेश शमिल हुए। उन्होंने विधि- व्यवस्था की समीक्षा की। इस वार्षिक अनुष्ठान से जुड़ी हुई भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जंगली जानवरों के शिकार पर रोक लगाने के लिए वन विभाग द्वारा संगठित रूप से एक सुनियोजित पहल की गई।

वन व वन्यप्राणियों की सुरक्षा के संबंध में ग्रामीणों को जागरूक करते हुए वन्यप्राणियों की शिकार नहीं करने व पारिस्थिकीय संतुलन के महत्व के बारे में बताया गया। विशु शिकार के लिए निर्धारित तिथि के कुछ दिनों पहले से ही विभाग के द्वारा वनों की सुरक्षा व उनमें निवास करने वाले विभिन्न वन्यप्राणियों के संरक्षण के लिए वनकर्मियों की उपस्थिति में स्थानीय लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अनेकों बैठक का आयोजन किया गया। जंगली जानवरों के शिकार को रोकने के लिए व इस पर्व की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन के अन्य उच्च पदाधिकारियों के साथ भी विभाग द्वारा समन्वय स्थापित किया गया। स्थानीय ग्रामीणों को वन्यप्राणियों के नुकसान के क्रम में ग्राम वासियों के ऊपर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में जागरूक किया गया। विशु शिकार के नियंत्रण के लिए सघन गश्ती के लिए 17 अलग अलग पथों का चयन किया गया। यह सभी पथ उन क्षेत्रों से होकर गुजरते है जो शिकार के दृष्टिकोण से संवेदनशील हैं या फिर जहां से दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में प्रवेश किये जाने की संभावना रहती है। दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के दोनों प्रक्षेत्रों के वनरक्षियों द्वारा अपने अपने क्षेत्र में सघन गश्ती की गई। इस गश्ती के दौरान आश्रयणी के विभिन्न नदी, नालों व जलश्रोतों के आस-पास के इलाके पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया। क्योंकि इसी इलाके में ही शिकार को फसानें के लिए जाल-फांस लगाने के दृृष्टिकोण से अनुकूल होते हैं। सेंदरा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों तथा सेंदरा शिकारियों के एकीकृत होने के प्रमुख स्थलों जैसे बोड़ाम अंचल स्थित मौजा हलुदबनी व चाण्डिल अंचल स्थित मौजा आसनबनी में विशेष रुप से चौकसी बरती गयी। गोबिन्दपुर थाना अन्तर्गत गदड़ा-गोविन्दपुर तरफ से सेंदरा के लिए आने वाले वाहन, बोड़ाम थाना अन्तर्गत शशांकडीह गांव से जंगल में प्रवेश करने वाले स्थान, पटमदा थाना अन्तर्गत बेलटाड़ व अन्य संवेदनशील स्थानों से आने वाले मार्ग तथा पोटका थाना अन्तर्गत हाता, पोटका से सेंदरा मार्ग इत्यादि पर वाहन व लोगों को रोकने की व्यवस्था भी थी।