संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। आज हजारों किसान नोएडा के महामाया फ्लाईओवर से दिल्ली की ओर कूच करेंगे। उनकी मुख्य मांगें गोरखपुर जैसी परियोजनाओं के लिए चार गुना मुआवजा, भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ, और 10% विकसित भूखंड उपलब्ध कराना हैं।
नोएडा में चार दिनों का धरना अनसुना, अब संसद का घेराव
किसान यमुना प्राधिकरण कार्यालय के सामने चार दिनों तक धरने पर बैठे रहे, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना कर दिया गया। अब किसान संसद का घेराव करने की तैयारी कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि गौतमबुद्ध नगर के किसानों को गोरखपुर हाईवे परियोजना की तरह चार गुना मुआवजा नहीं दिया गया। साथ ही, पिछले 10 सालों से सर्किल रेट में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
किसानों की प्रमुख मांगें और प्रशासन का रुख
किसान नेताओं ने नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ और हाई पावर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग की है। रविवार को पुलिस और प्राधिकरण अधिकारियों के साथ हुई बैठक में उनकी मांगों को खारिज कर दिया गया।
यातायात पर प्रभाव, पुलिस का डायवर्जन प्लान लागू
नोएडा पुलिस ने किसानों के मार्च को देखते हुए विशेष रूट डायवर्जन प्लान लागू किया है। यमुना एक्सप्रेसवे और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। सिरसा से परी चौक होकर सूरजपुर जाने वाले रास्तों पर भी यातायात रोका जाएगा। लोगों को वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है।
पंजाब, हरियाणा, और अन्य राज्यों के किसान भी जुड़ेंगे
पंजाब और हरियाणा के किसान भी दिल्ली की ओर कूच करने की योजना बना रहे हैं। 6 दिसंबर को शंभू और खनौरी बॉर्डर से पहला जत्था रवाना होगा। साथ ही, केरल, उत्तराखंड, और तमिलनाडु के किसान अपने-अपने राज्यों की विधानसभाओं की ओर मार्च करेंगे।
कर्ज माफी से लेकर न्याय तक की मांग
किसान कर्ज माफी, पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी रोकने, और पुलिस मामलों की वापसी जैसी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे। इसके अलावा, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय और 2020-21 के किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की जा रही है।