नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे स्वयंभू संत आसाराम को मंगलवार को चिकित्सा कारणों के आधार पर अंतरिम जमानत प्रदान की। अदालत ने उन्हें 31 मार्च तक राहत देते हुए यह भी सख्त निर्देश दिए कि रिहाई के बाद वह अपने अनुयायियों से संपर्क नहीं करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि आसाराम को तीन पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में रखा जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वह सबूतों के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ न करें। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें सामूहिक रूप से अपने अनुयायियों से मिलने की अनुमति नहीं होगी। यह फैसला गुजरात में दर्ज बलात्कार के मामले से जुड़ा है, जिसमें वह पहले से सजा भुगत रहे हैं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश केवल गुजरात के मामले तक सीमित है। राजस्थान में दर्ज एक अन्य बलात्कार मामले को लेकर आसाराम अब भी हिरासत में रहेंगे।

जनवरी 2023 में गांधीनगर के पास स्थित अपने आश्रम में एक महिला से बलात्कार के मामले में आसाराम को दोषी ठहराया गया था। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि यह घटना उस समय हुई जब वह आश्रम में रह रही थी।
इससे पहले, आसाराम ने निचली अदालत द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि मामला केवल तब विचाराधीन होगा, जब इसके पीछे चिकित्सकीय आधार हो।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केवल अस्थायी राहत है, और आसाराम पर लगे अन्य आरोपों की कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी।