सनातन परंपरा में महत्वपूर्ण मानी जाने वाली चारधाम यात्रा 2025 की भव्य शुरुआत आज अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर हो गई है। इस आध्यात्मिक यात्रा का आरंभ यमुनोत्री धाम से होता है, जहां आज दोपहर 11:55 बजे कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इससे पहले सुबह 10:30 बजे गंगोत्री धाम के कपाट भी विधिवत पूजा-अर्चना के साथ खोले गए। दोनों धामों के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा औपचारिक रूप से आरंभ हो गई है।
चारधाम यात्रा में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल हैं, जिन्हें छोटा चारधाम भी कहा जाता है। इन तीर्थस्थलों का धार्मिक और पौराणिक महत्व अत्यंत गहन है। मान्यता है कि इस यात्रा से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यात्रा की परंपरा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा शुरू की गई थी और यह परंपरा करीब 1200 साल पुरानी मानी जाती है।
- यमुनोत्री धाम, उत्तरकाशी जिले में स्थित है और इसे यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है।
- गंगोत्री धाम, गंगा नदी के उद्गम स्थल से जुड़ा हुआ है और यह भी उत्तरकाशी में स्थित है।
- केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को शुक्रवार के दिन खुलेंगे। यह भगवान शिव को समर्पित है और रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।
- बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई, रविवार को खोले जाएंगे। यह भगवान विष्णु का धाम है और चमोली जिले में स्थित है।
अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना जाता है और यही कारण है कि हर वर्ष इसी दिन से चारधाम यात्रा की शुरुआत होती है। देश-विदेश से श्रद्धालु इन पावन स्थलों के दर्शन के लिए उत्तराखंड पहुंच रहे हैं।
चारधाम यात्रा ना सिर्फ आस्था का प्रतीक है बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का मार्ग भी प्रशस्त करती है।