लंबे इंतजार के बाद रकीब को मिले अपने घरवाले, बांग्लादेशी होने का शंका हुआ समाप्त, साथ ले गई नानी
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मिरर मीडिया : तीन साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार रकीब को उसके घरवाले मिल ही गए। इसके साथ ही रकीब के बांग्लादेशी होने का शंका भी खत्म हो गया। बोकारो के आयोग विलेज में रह रहे बालक को सीडब्ल्यूसी ने कागजी प्रक्रियाएं पूरी कर गुरूवार को दिल्ली से आई उसकी नानी जरीना को सौंप दिया । बालक का घर बिहार के कटिहार में है।
बता दें कि मार्च 2020 में धनबाद स्टेशन पर रकीब को अकेले भटकते पकड़ा गया था । उसे बोकारो सहयोग विलेज में आवासित किया गया था। सहयोग विलेज के प्रभारी ओमप्रकाश ने मामले को धनबाद सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष के संज्ञान में लाया तो उसके घरवालों की तलाश शुरु हुई। रकीब से पूछताछ के बाद दिल्ली सरकार को पत्र लिखा गया लेकिन परिजन नही मिल पाए। वहीं तत्कालीन सीडब्ल्यूसी ने रकीब का पता बांग्लादेश लिखा था।
वर्तमान सीडब्ल्यूसी के आग्रह पर उपायुक्त ने राज्य सरकार को पत्र लिखा ताकि बांग्लादेश से तहकीकात हो सके। सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष ने बांग्लादेश के फरीदपुर एसपी से भी संपर्क किया था लेकिन वहां से भी कोई सुराग नहीं मिल पाया था।
इस बीच धनबाद सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष सीडब्ल्यूसी दिल्ली उत्तर पूर्व से मिले और खुद दिल्ली के भजनपुरा , नुरी मस्जिद जैसे इलाकों में उसके घरवालों को ढूंढने की कोशिश की। बाद में सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष व सहयोग विलेज प्रभारी ओमप्रकाश के आग्रह पर धनबाद डीडीसी शशि प्रकाश ने बोकारो जिला प्रशासन से बात की। तीन जुलाई को सीडब्ल्यूसी धनबाद के आदेश पर बालक को संस्कार आश्रम दिल्ली भेजा गया । दिल्ली बाल कल्याण के आदेश पर उसके घर का पता लगाने के लिए संस्कार आश्रम बाल गृह के कल्याण अधिकारी उसके बताए पते दयालपुर के गली नंबर 09 के शक्ति विहार ले गए जहां रकीब ने अपनी नानी के घर को पहचान लिया। जिसके बाद गुरूवार को उसकी नानी जरीना और मामा इकबाल को कल्याण अधिकारी ने सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत किया।