बिहार में राशन कार्ड योजना में बड़े पैमाने पर व्याप्त अनियमितताओं और फर्जीवाड़े से निपटने के लिए नीतीश कुमार सरकार ने कमर कस ली है। बिहार सरकार ने पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) से अयोग्य लाभार्थियों को हटाने के लिए बड़े पैमाने पर वेरिफिकेशन ड्राइव शुरू की है।

54.20 लाख नाम हटाने की तैयारी
बिहार में राशन कार्ड वेरिफिकेशन ड्राइव शुरू हुआ है। यह प्रोसेस तब शुरू हुआ जब राशन कार्ड आधार से लिंक किए गए और कई डिपार्टमेंट में गड़बड़ियां सामने आईं। अब पहली लिस्ट में ही 54.20 लाख नाम हटाने की तैयारी जारी है।
पटना से 66 से 70 हजार नाम हटने के आसार
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मुजफ्फरपुर में 2.34 लाख, पूर्वी चंपारण में 1.5 लाख और सीतामढ़ी में 99,000 नामों को सूची से हटाने के लिए चिन्हित किया गया है। तीनों जिलों से विस्तृत रिपोर्ट पहले ही प्रस्तुत की जा चुकी है। पटना में मौजूद 10.33 लाख सक्रिय राशन कार्डों में से लगभग 65,000-70,000 नाम हटने के आसार हैं।
बड़ी संख्या में अपात्र ले रहे राशन
आपूर्ति विभाग ने राशन कार्ड के आंकड़ों का मिलान राजस्व और भूमि सुधार विभाग, परिवहन विभाग, आयकर विभाग और नागरिक पंजीकरण डेटाबेस के रिकॉर्ड से किया। जिसके बाद यह बड़ा खुलासा हुआ है कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी राशन ले रहे थे, जिन्हें इसका कोई हक़ नहीं बनता। जांच में सामने आया कि कई लाभार्थी 2.5 एकड़ से ज़्यादा भूमि के मालिक हैं, चार पहिया वाहनों के मालिक हैं, आयकरदाता हैं,कुछ की मृत्यु हो चुकी, लेकिन नाम अब भी सक्रिय हैं।

