बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। इस बीच चुनाव आयोग ने वोटिंग लिस्ट के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी कर दी है। चुनाव आयोग की बेवसाइट पर ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के जारी होने के बाद सियासी पारा हाई है। दरअसल, वोटर लिस्ट में 65 लाख से ज्यादा लोगों के नाम काट दिए गए हैं। इस बीच राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने बड़ा दावा कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनका वोटर लिस्ट से नाम गायब है और अब वे किस तरह से चुनाव लड़ पाएंगे।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का नाम वोटर लिस्ट से कट गया है। उन्होंने खुद इसकी जानकारी पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी है। उन्होंने कहा कि बीएलओ आए थे और हमारा सत्यापन करके गए। फिर भी मतदाता सूची में नाम नहीं है। तेजस्वी ने कहा कि जब मैंने अपना नाम चेक करने की कोशिश की तो वहां नो रिकॉर्ड फाउंड का मैसेज आया। अब ऐसे में जब वोटर लिस्ट में मेरा ही नाम नहीं है तो मैं चुनाव कैसे लडूंगा?
हर विधानसभा से 20-30 हजार नाम काटने का दावा
तेजस्वी ने ड्राफ्ट सूची में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि तकरीबन हर विधानसभा से 20 से 30 हजार नाम काटे गए हैं। कुल 65 लाख के करीब यानी 8.5% के करीब मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं। चुनाव आयोग जब भी कोई विज्ञापन देता था, तो उसमें बताया जाता था कि इतने शिफ्ट हो गए, इतने लोग मृत हैं और इतने लोगों के दोहरे नाम हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने हमें जो सूची उपलब्ध करवाई है उसमें उन्होंने चालाकी दिखाते हुए किसी मतदाता का पता नहीं दिया।
ईसी ने पहले ही मन बना लिया किस पार्टी की सरकार बनानी है-तेजस्वी
तेजस्वी ने कहा कि सबसे अहम ईपीआईसी नंबर नहीं दिया है ताकि हम इसका तुलनात्मक अध्ययन करें। यह चुनाव आयोग की चालाकी है। आपने पहले से ही मन बना लिया है कि किस पार्टी की सरकार बनानी है, तो इसी सरकार का एक्सटेंशन कर दीजिए। अगर अस्थाई पलायन से 36 लाख मतदाताओं का नाम कटेगा तो भारत सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार बिहार से बाहर तीन करोड़ से भी ज्यादा पलायन है। इस संख्या से ज्यादा होना चाहिए। अगर इलेक्शन कमिशन की माने तो यह संख्या तीन करोड़ से ऊपर होती है। क्या इनका फिजिकल वेरिफिकेशन किया गया था? क्योंकि यह गाइडलाइन में लिखा हुआ है। क्या मतदाताओं को उनका नाम काटने से पहले क्या नोटिस या सूचना दी गई थी?
एसआईआर में कोई पारदर्शिता नहीं-तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने आगे कहा, एसआईआर की शुरुआत से ही इसमें कोई पारदर्शिता नहीं रही है। उन्होंने इसे राजनीतिक दलों को शामिल किए बिना शुरू कर दिया। विपक्ष ने समय पर सवाल उठाया, हमारे प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की, हमारी शिकायतों, सुझावों पर ध्यान नहीं दिया गया। ईसीआई ने सुप्रीम कोर्ट के सुझावों की भी उपेक्षा की है। हम कह रहे थे कि गरीब लोगों के नाम हटा दिए जाएंगे। हालांकि आयोग ने कहा कि ऐसा नहीं होगा। अब यह प्रक्रिया पूरी हो गई है, सूची राजनीतिक दलों को निर्वाचन क्षेत्रवार दी जा रही है।
बूथ लेवल पर डेटा देने की मांग
तेजस्वी यादव ने मांग की कि चुनाव आयोग बूथ लेवल पर डेटा दे। अभी आयोग ने ये डेटा विधानसभा क्षेत्र के आधार पर जारी किया है। जिन 65 लाख लोगों का नाम कटा है उनका पता ही नहीं है। मैं मांग करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान लेके चुनाव आयोग से इन सब का जवाब मांगे। ये तो साफ है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली की गई है। चुनाव आयोग को बताना चाहिए कि उसने किस कारण से लोगों का नाम इस वोटर लिस्ट से हटाया है।