चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने अपने राजनीति में आने की वजह बताई है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार में नीतीश कुमार सरकार की कथित असंवेदनशीलता ने उन्हें राजनीति में उतरने के लिए प्रेरित किया। एक पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान किशोर ने कहा कि बिहार में कोविड-19 महामारी के दौरान नीतीश कुमार सरकार की असंवेदनशीलता ने उन्हें झकझोर कर रखा दिया। जिसने उन्हें राजनीति में आने के लिए मजबूर कर दिया।

सत्ता की चाह होती तो…-पीके
पॉडकास्ट में बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मैंने 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को ऐतिहासिक जीत दिलाने में भूमिका निभाई थी। अगर मुझे सत्ता की चाह होती, तो उसी वक्त कोई पद मिल सकता था। लेकिन मेरा उद्देश्य तब भी कुछ और था, और आज भी बदलाव की राजनीति है।
2021 में लिया चुनावी प्रबंधन ना करने का निर्णय
पीके ने बताया कि 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि अब वे चुनावी अभियान प्रबंधन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि मैंने अपने गृह राज्य बिहार की सेवा करने का मन तब बनाया जब मैंने वैश्विक कोविड महामारी के दौरान यहां सरकार की असंवेदनशीलता देखी। जरा सोचिए, दूसरे राज्यों में बिहारी प्रवासियों को भगाया जा रहा था और उन्हें घर लौटने के लिए हजारों किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा था।
वोट देते समय सावधान रहने की अपील
इसके साथ ही पीके ने ये भी कहा कि लोगों को सितारों की अपील के कारण फिल्म देखने की अपेक्षा नेता के लिए वोट देते समय अधिक सावधान रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव में बहुत कुछ दांव पर लगा होता है। लोग अक्सर कहते हैं कि वो शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वोट देंगे, क्योंकि वो सही काम करते हुए दिखना चाहते हैं। लेकिन अंत में वो जाति और धर्म के बहकावे में आ जाते हैं और फिर गलत नेता को वोट दे देते हैं।