मिरर मीडिया : कोयलांचल में कई सारे आउटसोर्सिंग कंपनीयां कार्य कर रही है और हर आउटसोर्सिंग कंपनीयों की अपनी दबंगई है सभी ठेका मजदूर रखकर काम करवाती है पर और इसमें अनियमितता भी काफी हद तक की जाती है। आलम ये है कि मजदूरों का जमकर शोषण किया जाता है। साफ दृष्टि से देखें तो कागजो पर कुछ और जबकि वास्तविक धरातल पर कुछ और होता है।
सब खेल दस्तावेजों का है ज़नाब! जहाँ तय मानक सिर्फ कागज पर दिखते हैं हकीकत में कहीं ज्यादा मजदूर रखे जाते हैं। लिहाजा कागजी और काल्पनिक मजदूरों के पैसे का बंदरबाँट भी खूब सलीके से होता है। और कारण भी यही कि ठेका मजदूरों को शत प्रतिशत आजतक HPC की अनुशंसा के अनुसार वेतन व अन्य सुविधाएं नहीं मिल पाई है।
कागजो पर कुल 17,216 ठेका मजदूर कार्यरत जबकि वास्तविक तौर पर 25-30 हजार
गौरतलब है कि झारखंड में कोल इंडिया की तीन सहायक कंपनी BCCL, CCL एवं ECL है और कोल कंपनी के रिकॉर्ड के मुताबिक कागजो पर कुल 17,216 ठेका मजदूर कार्यरत है जबकि वास्तविक तौर पर 25-30 हजार से भी कहीं अधिक मजदूर से काम लिया जा रहा है। आउटसोर्सिंग एवं ठेका मजदूरों के सहारे आज 70 से 80 प्रतिशत कोयले का उत्पादन किया जा रहा है। पर अनुमानित 40 प्रतिशत से अधिक ठेका मजदूरों को वेज एवं सुविधाएं नहीं मिलती।
जबकि आश्चर्य है कि ये आउटसोर्सिंग कंपनी हाई पावर कमेटी की अनुशंसा से सम्बंधित पत्र निविदा पेपर में लगाकर कोल कंपनियों से बढ़ा हुआ पैसा ( वेज एक्सेलशन ) भी ले लेते हैं और उन पैसों का बंदरबाँट कर लेते है।
नहीं बनती है फॉर्म बी एवं सी रजिस्टर में सभी की हाजिरी
सूत्रों कि माने तो फॉर्म बी एवं सी रजिस्टर में सभी की हाजिरी भी नहीं बनती जबकि आईएमइ एवं वीटीसी ट्रेनिंग भी नहीं कराई जाती। हालांकि दबंगो की दबंगई आउट मिलीभगत के कारण भी उनकी नाजायज मांगो को आउटसोर्सिंग कम्पनिया मान लेती है। वहीं सच बोलने पर ठेका मजदूरों को काम से हटाने की धमकी तक दी जाती है।
कुल 529 ठेका मजदूर कार्यरत है जबकि वास्तविक तौर पर यहाँ कार्य करते हैं करीब 1000 ठेका मजदूर
इसके अलावा BCCL के कुसुंडा एरिया के ऐना में आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स आरके ट्रांसपोर्ट में 279 ठेका मजदूर गोंदुडीह की कंपनी हिल टॉप में 135 व NGKC में संचालित आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स युसीसी – बीएलएल में लगभग 115 ठेका मजदूर कार्यरत हैं। अगर तीनो की संख्या जोड़ा जाए तो कुल 529 ठेका मजदूर कार्यरत है जबकि वास्तविक तौर पर यहाँ करीब 1000 ठेका मजदूरों से काम लिया जा रहा है। अब इसके साथ ही अन्य आउटसोर्सिंग कंपनी का भी लगभग यही हाल है।
1 हजार से 1150 के बीच प्रतिदिन का वेतन पर नहीं होता है पूर्णरूपेण भुगतान
अब बात दैनिक भुगतान की करें तो अकुशल को 1007 रूपये अर्धकुशल को 1045 रूपये, कुशल को 1084 रूपये जबकि अतिकुशल को 1122 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से वेतन भुगतान किया जाना चाहिए पर भ्रष्टाचार और बंदरबाँट का आलम देखिये की 60 प्रतिशत ठेका मजदूरों को HPC के मुताबिक जबकि 40 प्रतिशत मजदूरों को मात्र 8-15 हजार के बीच भुगतान किया जाता है।
2016 में हुई थी 8.33 प्रतिशत बोनस की घोषणा पर अबतक नहीं मिला मजदूरों को
बता दें कि हाई पावर कमेटी के अनुसार भूमिगत खदान वालों को 10% भत्ता का भी प्रावधान है जो अबतक नहीं मिला जबकि CMPF व CMPC की सुविधा, बोनस भुगतान, ओपीडी व इंडोर मेडिकल सुविधाएं जो मिलनी चाहिए वो भी नदारद है। इतना ही नहीं 2016 में इन ठेका मजदूरों को 8.33 प्रतिशत बोनस की घोषणा आजतक यथावत है जिसकी जिम्मेदारी अधिकारीयों को दी गई थी पर अफ़सोस आजतक ठेका मजदूरों को यह बोनस नहीं मिला।