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बायो मेडिकल वेस्ट मामले में डीसी की सख्ती, सिविल सर्जन को लगाई फटकार, विवादों से घिरे लिपिक को हटाने के निर्देश

धनबाद: उपायुक्त माधवी मिश्रा ने पीसी एंड पीएनडीटी कमेटी की बैठक में सिविल सर्जन कार्यालय के लिपिक संजुत कुमार सहाय को तत्काल प्रभाव से पद से हटाने का निर्देश दिया है। इस लिपिक पर घूसखोरी का गंभीर आरोप है, जिसके चलते उपायुक्त ने 24 घंटे के भीतर उनका स्थानांतरण करने का आदेश दिया है। साथ ही, घूसखोरी के आरोपों में सिविल सर्जन डॉक्टर चंद्रभानु प्रतापन को भी शोकॉज किया गया है।

एक लाख रुपए घूस मांगने का आरोप

सिविल सर्जन कार्यालय के लिपिक संजुत कुमार सहाय और सिविल सर्जन डॉक्टर चंद्रभानु प्रतापन पर घूस मांगने का आरोप कांग्रेस नेता इजहार अहमद बिहारी ने लगाया था। उनका कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी के स्थानांतरण के सिलसिले में जब वे सिविल सर्जन कार्यालय गए, तो उनसे एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई। इस मामले में उन्होंने उपायुक्त से शिकायत की और हाई कोर्ट में भी रिट याचिका दाखिल की।

बायो मेडिकल वेस्ट मामले में सिविल सर्जन को शोकॉज

उपायुक्त माधवी मिश्रा ने जिले में बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन को लेकर सिविल सर्जन से जानकारी मांगी, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर उन्हें शोकॉज किया गया है। उन्होंने बायो मेडिकल वेस्ट के उचित निष्पादन की व्यवस्था सुधारने और उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर नाराजगी

बैठक के दौरान उपायुक्त ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि कोई भी कर्मचारी 20 वर्षों तक एक ही जगह पर कैसे रह सकता है। उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसे कर्मचारियों को सिविल सर्जन कार्यालय से हटाकर नए कर्मचारियों की तैनाती की जाए, जो पहले यहां काम नहीं कर चुके हैं।

हाई कोर्ट में दायर हुई याचिका

घूसखोरी मामले में कांग्रेस नेता इजहार अहमद बिहारी ने उपायुक्त से शिकायत करने के बाद उच्च न्यायालय में रिट याचिका भी दायर की है। इससे पहले उन्होंने सिविल सर्जन को लीगल नोटिस भेजा था, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने कानूनी कार्रवाई का सहारा लिया।

लिपिक पर पहले भी लग चुके हैं भ्रष्टाचार के आरोप

सिविल सर्जन कार्यालय के लिपिक संजुत कुमार सहाय पर पहले भी आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला चल चुका है। मुख्यालय की टीम ने इस संबंध में जांच भी की थी। इसके अलावा, उन पर कई अन्य आरोप भी लग चुके हैं, जिससे उनकी भूमिका संदिग्ध बनी हुई है।

स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप

उपायुक्त के इस कड़े फैसले के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। कई कर्मचारी और अधिकारी इस कार्रवाई को लेकर असमंजस में हैं। उपायुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि भ्रष्टाचार में संलिप्त किसी भी कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा और भविष्य में भी ऐसी सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।

बैठक में कार्यपालक दंडाधिकारी रविंद्र नाथ ठाकुर, डॉ. विकास राणा, डॉ. राजकुमार सिंह, डॉ. शम्स तबरेज खान, डॉ. गायत्री सिंह, डॉ. नीतू सहाय, डॉ. राकेश इंदर सिंह, नीता सिन्हा, डीपीआरओ सुनील कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

KK Sagar
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