सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम आतंकवादी हमले में न्यायिक जांच की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका दायर करने से पहले मामले की गंभीरता को समझना चाहिए था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों से कहा कि उन्हें सेना का मनोबल गिराने वाला काम नहीं करना चाहिए।
रिटायर्ड जज ऐसे मामलों की जांच में एक्सपर्ट ?
दरअसल, वकीलों के एक दल पहलगाम हमले की जांच न्यायिक आयोग से कराने की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।याचिका पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपने मांग की है कि रिटायर्ड जज की अगुवाई में पहलगाम हमले के जांच हो। जज कब से ऐसे मामलों की जांच करने के एक्सपर्ट हो गए हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखिए। कोर्ट ने कहा कि यह कठिन समय है और सभी को साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी।
मामले की संवेदनशीलता का ख्याल रखने की नसीहत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुश्किल वक्त में देश का प्रत्येक नागरिक आतंकवाद से लड़ने के लिए एकजुट है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह ऐसा जरूरी समय है, जब हर भारतीय आतंकवाद से लड़ने के लिए एकसाथ खड़ा है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी मांग कर सुरक्षाबलों का मनोबल ना गिराएं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि ये मामला बहुत ही संवेदनशील है। ऐसे में इस मामले की संवेदनशीलता का भी ख्याल रखें।
आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग
बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले में विदेशी पर्यटकों समेत 26 लोग मारे गए थे। आतंकियों ने धर्म पूछकर सबको मारा था। याचिकाकर्ताओं ने 26 लोगों की मौत वाली पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग की थी। मगर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपने निष्कर्षों को लेकर थोड़ा ज़िम्मेदार बनिए।