मिरर मीडिया : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का संकट गहरा गया है। बुधवार रात को वाटर लेवल 208 मीटर के पास चला गया। इससे पूर्व साल 1978 में आखिरी बार यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर पहुंचा था। वहीं दिल्ली में गुरुवार की सुबह 7 बजे यमुना नदी का जलस्तर 208.46 मीटर दर्ज किया गया। जबकि बीते बुधवार की दोपहर 1 बजे नदी बाढ़ के उच्चतम रिकॉर्ड 207.49 मीटर को पार कर गयी थी।

दिल्ली के पुराने यमुना पुल के पास का क्षेत्र ‘लोहा पुल’ पानी से भर गया। क्योंकि यमुना नदी का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर बढ़ गया है। ओल्ड रेलवे ब्रिज (ओआरबी) पर यमुना नदी का जल स्तर खतरे के निशान को पार कर गया है
यमुना में बढ़ते हुए जलस्तर के मद्देनजर निचले इलाकों में रहने वाले लोगों से तुरंत जगह खाली करने की अपील की गई है। हजारों लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है क्योंकि नदी के पास के घरों और बाजारों में पानी घुस गया है, जिससे उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि मौजूदा हालात 6 सितंबर 1978 की उस घटना की याद ताजा कर दी , जब दिल्ली के इलाकों में अचानक ही बाढ़ का पानी घुसने लगा था और लोगों में अफरा-तफरी मच गई थी। यमुना नदी में लगातार पानी के बढ़ते स्तर की वजह से लोगों को अपना घर तक छोड़ना पड़ गया था। सभी सुरक्षित स्थानों की ओर जाने को मजबूर थे।
दिल्ली में 100 सालों के बाद ऐसी बाढ़ आई थी। शहर में इमरजेंसी जैसे हालात थे। टेलिफोन लाइनें ठप हो गईं थी। यमुना नदी के ऊपर बने सारे पुल भी बंद कर दिए गए थे। आलम यह था कि बाढ़ प्रभावित सभी इलाकों में सेना तैनात करनी पड़ी थी। इस बाढ़ की वजह थी हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से लगभग 7 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जाना।
1978 में आई बाढ़ की वजह से दिल्ली में लाखों लोग बेघर हो गए, 40 हजार वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) से अधिक कृषि भूमि पानी में डूब गई, 18 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और करीब 10 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा था।
इधर दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ने के कारण निचले इलाकों में पानी भर गया है। इसके चलते दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने यातायात को लेकर एडवाइजरी जारी की है। बता दें कि निचले इलाकों में पानी भर जाने के कारण दिल्ली में कई सड़कों पर यातायात प्रभावित हुआ है।