मिरर मीडिया : नौ दिन माँ दुर्गा के नौ स्वरुप की पूजा अर्चना के बाद आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानि 15 अक्टूबर दिन शुक्रवार को दशहरा, विजया दशमी पर्व मनाया जाता है। अर्थात इस दिन माँ दुर्गा विसर्जन के साथ ही दुर्गा पूजा पर्व का भी समापन हो जाता है। आपको बता दें कि नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि के समापन के बाद दशमी के दिन व्रत पारण के बाद मां दुर्गा का विसर्जन किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार विसर्जन के लिए श्रवण नक्षत्र युक्त दशमी तिथि शुभ मानी जाती है। इसी दिन मां कैलाश पर्वत के लिए प्रस्थान कर जाती हैं. ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन मां दुर्गा का मुहूर्त हमेशा शुभ मुहूर्त के अनुसार ही करना शुभ और फलदायी होता है।
गौरतलब है कि शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 7 अक्टूबर के दिन शुरू होकर 15 अक्टूबर को समाप्त हो रही है। इस बार मां डोली में सवार होकर धरती पर आई थीं और आज दशमी तिथि को मां दुर्गा गज यानि हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी। मान्यता है कि मां का हाथी पर प्रस्थान उत्तम वर्षा का संकेत होता है।
दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत को लेकर भी मनाया जाता है इस दिन रावण सहित कुम्भकरण और मेघनाथ का पुतला भी दहन किया जाता है। मान्यता है कि इस पुतले के साथ बुराई का भी दहन हो जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की थी। वहीं, माना जाता है कि मां दुर्गा ने महिषासुर का वध करके दशहरे के दिन की जीत हासिल की थी। इसलिए विजयदशमी पर्व को शक्ति, स्वास्थ्य और शौर्य का पर्व भी कहा जाता है। आपको बता दें कि विजया दशमी के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने की भी परंपरा है।