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Election 2024: अनुपमा की अब कुड़मी वोटरों को साधने की कवायद, कहा- स्वाभिमान व कुड़मी हित में सबकुछ भुलाकर एक हो जाए समाज

मिरर मीडिया, डिजिटल डेस्क : Election 2024 अखिल झारखण्ड टोटेमिक कुड़मी समाज को धनबाद संसदीय क्षेत्र के इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार अनुपमा सिंह ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कुड़मि समाज सबकुछ भुलाके अपने स्वाभिमान व कुडमिहित के लिए एक हो जायें। समाज का दुरगामी परिणाम के लिए गहराई से समझें। कांग्रेस पार्टी को कुड़मी समाज के लोग इस वार वोट दें।

कांग्रेस पार्टी ही कुडमिहितों की रक्षा कर सकती है। हम कैसे भुला सकते हैं कि कांग्रेस प्रतिपक्ष लोकसभा के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कुड़मी को एसटी सूची में सूचिबद्ध करने के लिए लोकसभा में आवाज उठाया और झारखण्ड अलग राज्य निर्माण के लिए सन् 1989 में राजीव गांधी जी ने अपने प्रधानमंत्री काल में पूर्वोत्तर क्षेत्रों में कई छोटे राज्यों के गठन कर झारखण्ड अलग राज्य निर्माण की लम्बी मांगों को गम्भीरता से लिया। झारखण्ड अलग राज्य निर्माण के लिए “द मेंटर्स आफ झारखण्ड” कमिटी गठित कर रिपोर्ट मांगें, जिससे झारखण्ड राज्य निर्माण का रास्ता खुला या फिर रास्ता साफ हुआ। उसी कमिटी के रिपोर्ट में कुड़मी जनजाति को गैर सरकारी जनजाति होने का रिपोर्ट भी तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सौंपा, लेकिन दूरभाग्य की बाद है कि रिपोर्ट के बाद ही वो हमारे बीच जीवित नहीं रहे। आतंकवादियो द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।

बोकारो हवाई अड्डा बिनोद बाबू के नाम से नामकरण के लिए वर्षों से कुड़मि समाज आंदोलन और मांग कर रहे हैं, जो बिनोद बाबू के नाम पर है, विनोद बाबू नाम पहले से हवाई अड्डा के मुख्य द्वार पर पहले से वोर्ड भी लगा है। उसका नाम भाजपा प्रत्याशी ढूल्लू महतो बदलवाना चाहता है। ढूल्लू महतो ने बिनोद बाबू का विरोधकर मजाक उड़ाया। एक तरह से कुड़मि को चुनौती दिया। कुड़मी समाज को शक्ति विहीन समाझा। तेलमोचो ब्रिज लोहपट्टी में देश के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद वीर रघुनाथ महतो के मूर्ति स्थापना का ढूल्लू महतो ने ही विरोध कराया और नहीं बनने दिया और उल्टा कुड़मि नौजवानों पर एनएच द्वारा केस भी करवा दिया।

ढुलू महतो ने ही महुदा मोड़ में स्थापित बिनोद बाबू के मूर्ति के सिर को खंडित कराया। ढुलू महतो ने अपना ट्रेलर दिखा चुका है कुड़मियों को। अगर जीत गया तो पूरी फिल्म क्या होगा कुड़मि का धनबाद लोकसभा में ट्रेलर से अंदाजा लगा लिजिए। इसलिए सावधान हो जाइए। कुड़मि समाज के स्वाभिमान पर चोट करने वाले और चुनौती देनेवाले ढुलू महतो को उसका औकात दिखा देना है कि कुड़मि किस चीज का नाम है, ताकि दोबारा किसी कुड़मि के तरफ़ आंख उठाकर देखने की औकात ना हो। ढूल्लू महतो से कुड़मी समाज जानना चाहती है कि कितने बार सदन में कुड़मी को एसटी की दर्जा दिलाने की आवाज उठाया।

कुड़मी समाज यह भी जानना चाहती है कि पुटकी कच्छी बलिहारी के कुडमि वेटी अपनी जमीन और पिता जी के नौकरी बचाने के लिए बीसीसीएल पीबी एरिया से न्याय नहीं मिलने से अपनी प्राणों की आहुति बीसीसीएल कार्यालय में दे दिया। उसके मौत के जिम्मेवार दोषी अधिकारियों को सजा दिलाने में उदासीनता क्यों दिखाई। झारखण्ड विधानसभा में सिर्फ घडियालू आंसू बहाना, बीसीसीएल सीएमडी को चल रहे आंदोलन को बगैर मुआवजा नियोजन के बेच देना कुडमि विरोधी को दर्शाता है।

मुनीडीह माइन के अंदर काम के दर्मयान दुर्घटना से रोहन महतो की मृत्यु होने पर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की लम्बी एवं ऐतिहासिक आंदोलन में ढुल्लू महतो द्वारा चुप्पी साधे रहना, आंदोलन में साथ और सहयोग नहीं देना, विनोद बाबू के सुपुत्र पूर्व सांसद, पूर्व विधायक स्व० राजकिशोर महतो के निधन पर उनके मृतक शरीर पर एक पुष्प भी नहीं चढ़ाना कुड़मी के प्रति ढूल्लू महतो के अपार घृणा को दर्शाता है। जब धनबाद बोकारो के झारखण्डी जनता भाषा और सांस्कृतिक आन्दोलन कर रहे थे, तब कहां थे। जब झारखण्ड में पिछडी जातियों के आरक्षण को 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत किया गया तो पिछडों के लिए आज तक एकबार भी कही नहीं बोले। ये क्या दर्शाता है।

धनबाद नगर निगम चुनाव में चेयरमैन पद को पिछडी जाति से हटा दिया गया। ढुल्लू महतो कितने बार आवाज उठाया? कुड़मी समाज यह भी जानना चाहती है कि अर्जुन मुंडा झारखण्ड के तमाड़िया जाति को और भोगता जाति को एसटी सूची में सूचिबद्ध कराया तो झारखण्ड राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित कुडमि, तेली, घटवाल – घटवार आदि शोषित, कमजोर, पीछडा उपेक्षित जातियां को क्यों नहीं एसटी का दर्जा दिलाया।

धनबाद पीएमसीएच का नाम हेमंत सरकार द्वारा जब शहीद निर्मल महतो के नाम से नामकरण किया गया तो यही भाजपा नेताओं द्वारा धनबाद में जमकर विरोध किया तब ढूल्लू महतो द्वारा झारखण्ड के वीर शहीद निर्मल महतो का पक्ष क्यों नहीं लिया? इससे स्पष्ट है कि ढूल्लू महतो कुड़मी विरोधी के साथ साथ पिछडा वर्ग विरोधी भी है। वोट लेने के लिए पिछडा जाति होने का और भीतरी अर्थात झारखण्डी होने का घड़ियाली रोना रो रहे हैं। मैं तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित कुडमि के अलावा तेली, दोहरा, घटवाल, कहार आदि जनजाति को भी सूचीबद्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार से सदन में मांग करूंगी ताकि वर्षों से उपेक्षित सामाजिक पहचान और हक मिल सके।

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Uday Kumar Pandey
Uday Kumar Pandeyhttps://mirrormedia.co.in
मैं उदय कुमार पाण्डेय, मिरर मीडिया के न्यूज डेस्क पर कार्यरत हूँ।

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