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IIT आईएसएम के संकाय सदस्यों ने टुंडी ब्लॉक के स्कूली छात्रों को 3D तकनीक का उपयोग कर ज्यामितीय आकृतियों को समझाया, DST परियोजना के अंतर्गत कार्यशाला का हुआ आयोजन

डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: धनबाद के सुदूर टुंडी ब्लॉक में स्थित राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूल, हाई स्कूल टुंडी में मंगलवार को आयोजित एक विशेष सत्र के दौरान आईआईटी आईएसएम के विशेषज्ञ संकाय सदस्यों द्वारा युवा मन को लुभाने वाले त्रिकोणमितीय सूत्रों और ज्यामितीय आकृतियों की जटिलताओं को सरलता से समझाया गया।

आईआईटी आईएसएम के प्रबंधन अध्ययन और औद्योगिक इंजीनियरिंग विभाग की सहायक प्रोफेस रश्मी सिंह द्वारा टुंडी के स्कूल परिसर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग प्रायोजित परियोजना के तहत आयोजित एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसके दौरान 115 लड़कों और 122 लड़कियों सहित कुल 273 छात्र उपस्थित रहें।
साथ ही आईआईटी आईएसएम टीम में आमंत्रित वक्ता के रूप में प्रबंधन अध्ययन और औद्योगिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर नीलाद्री दास और अन्य शामिल रहे ।
वहीं परियोजना स्टाफ के रूप में कल्याणी कुमार और परियोजना सहायक के रूप में दीपेंद्र और रौशन कुमार पांडे शामिल थे, जिन्होंने बाद में 3 डाइमेंशनल आकृतियों को भी पढ़ाया। छात्रों को लाइव मॉडल के साथ आकृतियाँ प्रदान की गयीं ताकि वे उन संरचनाओं से परिचित हो सकें जिनमें लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई होती है।

इस मौके पर प्रोफेसर सिंह ने कहा कि हमारे कार्यशाला के दौरान घन, आयताकार प्रिज्म, गोले, शंकु और सिलेंडर के बारे मे बताया गया। 3 डी आकार सीखने से छात्रों के कलात्मक विकास में भी मदद मिल सकती है क्योंकि इससे उनकी रचनात्मकता और नवीन विचार प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। .
वहीं प्रोफेसर नीलाद्रि दास ने कहा कि 3 डी आकृतियों की समझ बेहतर दृश्यता को बढ़ावा दे सकती है और कई धारणाओं को बढ़ा सकती है, जो बाल विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
साथ ही स्कूल के प्रधानाचार्य अभिमन्यु कुमार ने कहा कि स्कूल में गणितीय कक्षाएं नियमित रूप से आयोजित की जाती हैं, लेकिन ऐसी कार्यशालाओं ने उस विषय के प्रति छात्रों की रुचि जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है,
कुमार ने आगे कहा कि यह सब जटिल चीजों को काफी सरलता से करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली 3डी तकनीकों जैसी अपरंपरागत पद्धति के उपयोग के कारण संभव हो पाया है।

जबकि कार्यशाला में भाग लेने वाले दसवीं कक्षा के छात्र अनिल सोरेन ने कहा कि आईआईटी आईएसएम के आगंतुकों द्वारा लाए गए विभिन्न आकृतियों के 3 डी मॉडल ने उन्हें आयताकार प्रिज्म, गोले, शंकु आदि जैसी आकृतियों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिली।

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