Myanmar Earthquake Relief: म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भारत ने मानवीय सहायता के तहत ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ (Operation Brahma) की शुरुआत की है। इस पहल के तहत, भारतीय वायु सेना (IAF) का एक विशेष विमान शनिवार सुबह राहत सामग्री लेकर म्यांमार के यांगून हवाई अड्डे (Yangon Airport) पर पहुंचा। लगभग 15 टन राहत सामग्री की इस पहली खेप को भारत के राजदूत अभय ठाकुर ने यांगून के मुख्यमंत्री यू सोए थिन को औपचारिक रूप से सौंपा।
भारतीय वायुसेना का C-130J विमान (Indian Air Force C-130J) इस राहत सामग्री को लेकर हिंडन वायुसेना स्टेशन से रवाना हुआ था। राहत सामग्रियों में तंबू, कंबल, स्लीपिंग बैग, तैयार भोजन, पीने का पानी, सौर लैंप, जनरेटर सेट, स्वच्छता किट और आवश्यक दवाइयां शामिल थीं। इनमें पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक्स, सिरिंज, दस्ताने और पट्टियां भी भेजी गई हैं।
म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप, हजारों प्रभावित
शुक्रवार को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप (Earthquake in Myanmar) आया, जिसके बाद 6.4 तीव्रता के झटकों ने तबाही मचा दी। इस आपदा में अब तक 1000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। भूकंप का केंद्र सागाइंग क्षेत्र में था, लेकिन इसके प्रभाव से दूरस्थ इलाकों में भी इमारतें, पुल और सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं।
थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक तक इस भूकंप का असर देखा गया, जहां एक निर्माणाधीन 30 मंजिला इमारत ढहने से 10 लोगों की मौत हो गई। इस भीषण आपदा के कारण राहत और बचाव कार्यों में भारी कठिनाइयां आ रही हैं।
भारत की ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर’ नीति और आपदा राहत प्रयास
भारत हमेशा आपदा के समय अपने पड़ोसी देशों की सहायता करता रहा है। ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ (Operation Brahma) भी इस नीति का एक उदाहरण है, जिसमें संकटग्रस्त म्यांमार (Crisis in Myanmar) को त्वरित राहत दी जा रही है। भारतीय विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) ने बयान जारी कर बताया कि भारत सरकार म्यांमार के अधिकारियों के संपर्क में है और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार आगे भी मदद जारी रखेगा।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री (Foreign Secretary Vikram Misri) ने कहा, “भारत हमेशा अपने पड़ोस में प्राकृतिक आपदाओं (Natural Disasters) के समय पहला सहायता देने वाला देश रहा है। हम म्यांमार में नुकसान का आकलन कर रहे हैं और उनकी जरूरतों के अनुसार अतिरिक्त सहायता भेजने के लिए तैयार हैं।”
भारत की अंतरराष्ट्रीय आपदा सहायता नीति
भारत ने इससे पहले भी कई आपदाओं के दौरान त्वरित सहायता प्रदान की है। 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद भारत ने श्रीलंका, मालदीव और इंडोनेशिया को राहत सामग्री और चिकित्सा सहायता भेजी थी। 2015 में नेपाल में आए भूकंप (Nepal Earthquake) के बाद ‘ऑपरेशन मैत्री’ (Operation Maitri) के तहत भारत ने राहत दल और चिकित्सा विशेषज्ञ भेजे थे।2023 में तुर्की और सीरिया में आए भूकंप (Turkey-Syria Earthquake) के दौरान भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत 6 टन से अधिक राहत सामग्री और एनडीआरएफ की टीमें भेजी थीं। कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) के दौरान ‘वैक्सीन मैत्री’ (Vaccine Maitri) पहल के तहत भारत ने कई देशों को टीके और चिकित्सा आपूर्ति प्रदान की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस आपदा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “म्यांमार और थाईलैंड में आए भूकंप से हुए नुकसान पर गहरा दुख है। भारत हर संभव सहायता के लिए तैयार है। हमारी संवेदनाएं पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं।”
भारत के इस मानवीय मिशन से एक बार फिर यह साबित हुआ कि देश हमेशा संकट की घड़ी में अपने पड़ोसी देशों के साथ खड़ा है।