रवींद्रनाथ टैगोर जयंती विशेष :जमशेदपुर से शांति निकेतन की सैर, एक सांस्कृतिक और प्राकृतिक यात्रा

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By Manju
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मंजू कुमारी। जमशेदपुर : झारखंड का औद्योगिक शहर जमशेदपुर न केवल स्टील सिटी के नाम से जाना जाता है, बल्कि यह सांस्कृतिक और पर्यटन स्थलों की खोज के लिए भी एक शानदार शुरुआती बिंदु है। अगर आप एक ऐसी जगह की तलाश में हैं जो शांति, संस्कृति और प्रकृति का अनूठा संगम हो, तो पश्चिम बंगाल का शांति निकेतन आपके लिए आदर्श गंतव्य हो सकता है। नोबेल पुरस्कार विजेता रबीन्द्रनाथ टैगोर की कर्मभूमि शांति निकेतन न केवल एक शैक्षणिक और सांस्कृतिक केंद्र है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षक स्थल है। आइए जानते हैं कि जमशेदपुर से शांति निकेतन कैसे पहुंचा जाए और वहां क्या खास है।

जमशेदपुर से शांति निकेतन कैसे पहुंचें?
शांति निकेतन, जो बोलपुर शहर के पास बीरभूम जिले में स्थित है, जमशेदपुर से लगभग 244 किमी (सड़क मार्ग से 140 मील) दूर है। यहां पहुंचने के लिए कई सुविधाजनक विकल्प उपलब्ध हैं।


ट्रेन से: सबसे किफायती और लोकप्रिय विकल्प ट्रेन है। जमशेदपुर का टाटानगर जंक्शन शांति निकेतन के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन, बोलपुर शांति निकेतन (BHP), से अच्छी तरह जुड़ा है। ट्रेन जैसे कामाख्या-टाटानगर एक्सप्रेस (22512) टाटानगर से बोलपुर तक जाती है। यात्रा में लगभग 6 घंटे 28 मिनट लगते हैं, और टिकट की कीमत 150 से 900 रुपये (क्लास के आधार पर) तक हो सकती है। बोलपुर स्टेशन से शांति निकेतन केवल 2-3 किमी दूर है, जहां से आप रिक्शा, टोटो या टैक्सी ले सकते हैं।

सड़क मार्ग से: अगर आप प्रकृति का आनंद लेते हुए यात्रा करना चाहते हैं, तो सड़क मार्ग एक शानदार विकल्प है। जमशेदपुर से शांति निकेतन तक का सड़क मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाइवे के माध्यम से अच्छी तरह जुड़ा है। आप निजी कार या टैक्सी से 3.5 से 4 घंटे में पहुंच सकते हैं, जिसकी लागत 3,000 से 5,000 हो सकती है। इसके अलावा कोलकाता या दुर्गापुर से बोलपुर के लिए नियमित बसें उपलब्ध हैं, जो बोलपुर तक 4-5 घंटे में पहुंचती हैं।

हवाई मार्ग: शांति निकेतन का अपना हवाई अड्डा नहीं है। निकटतम हवाई अड्डा कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (CCU) है, जो शांति निकेतन से 160 किमी दूर है। जमशेदपुर से कोलकाता के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए आपको पहले रांची या दिल्ली के रास्ते कोलकाता पहुंचना होगा। वहां से टैक्सी या ट्रेन लेकर शांति निकेतन पहुंचा जा सकता है। यह विकल्प समय और लागत की दृष्टि से कम व्यावहारिक है।

यात्रा टिप्स:
ट्रेन यात्रा के लिए पहले से बुकिंग करें, खासकर त्योहारों या सर्दियों के मौसम में, जब भीड़ अधिक होती है। सड़क मार्ग से यात्रा करते समय बंगाल के ग्रामीण इलाकों की हरियाली और शांति का आनंद लें। रास्ते में स्थानीय ढाबों पर बंगाली व्यंजनों का स्वाद लेना न भूलें।

शांति निकेतन में क्या खास है?
शांति निकेतन, जिसका अर्थ है ‘शांति का निवास’, रबीन्द्रनाथ टैगोर की सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत का प्रतीक है। 1863 में उनके पिता महर्षि देबेन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित इस स्थान को रबीन्द्रनाथ ने विश्व भारती विश्वविद्यालय के रूप में एक वैश्विक मंच दिया। यह जगह न केवल इतिहास और संस्कृति प्रेमियों के लिए, बल्कि प्रकृति और कला प्रेमियों के लिए भी एक खजाना है।

यहां के प्रमुख आकर्षण:
विश्व भारती विश्वविद्यालय: टैगोर द्वारा 1901 में स्थापित यह विश्वविद्यालय प्रकृति के बीच खुले में शिक्षा देने की उनकी दृष्टि का प्रतीक है। कला भवन, संगीत भवन, और चीना भवन जैसे विभाग कला, संगीत और साहित्य के केंद्र हैं। हालांकि, पर्यटकों के लिए परिसर के कुछ हिस्सों में प्रवेश सीमित है, लेकिन रबीन्द्र भवन संग्रहालय जरूर देखें, जहां टैगोर के निजी सामान, पांडुलिपियां और तस्वीरें प्रदर्शित हैं।

टैगोर आश्रम और उत्तरायण परिसर: टैगोर का निवास स्थान, उत्तरायण परिसर, पांच ऐतिहासिक भवनों (उदयना, कोनारका, पुनश्च, उदीची, और शमाली) का समूह है। यह परिसर टैगोर के जीवन और उनकी रचनात्मकता को दर्शाता है। पास में छातिमतला, जहां टैगोर ने अपनी कविताएं और गीत रचे, एक शांतिपूर्ण स्थल है।

सोनाझुरी हाट और खोई मेला: हर शनिवार को लगने वाला सोनाझुरी हाट स्थानीय हस्तशिल्प, साड़ी, गहने और बाउल संगीत का केंद्र है। यह मेला पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। खोई मेला, जो कोपाई नदी के किनारे लगता है, स्थानीय कला और शिल्प का प्रदर्शन करता है।

कोपाई नदी और खोई सॉनाझुरी वन: कोपाई नदी, जिसे टैगोर ने अपनी कविता ‘आमादेर छोटो नदी’ में अमर किया, शांति निकेतन की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाती है। मानसून में यह नदी जीवंत हो उठती है। पास का खोई सॉनाझुरी वन, लाल मिट्टी और सॉनाझुरी पेड़ों से घिरा, एक शांत और फोटोजेनिक स्थल है।

उत्सव और मेला: शांति निकेतन में बसंत उत्सव (होली) और पौष मेला (दिसंबर में) जैसे आयोजन सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं। बसंत उत्सव में विश्वविद्यालय के छात्र पीले वस्त्रों में नृत्य और संगीत प्रस्तुत करते हैं, जो एक अनूठा अनुभव है।

बल्लवपुर वन्यजीव अभयारण्य: विश्वविद्यालय से 3 किमी दूर यह अभयारण्य हिरणों और पक्षियों को देखने के लिए आदर्श है। सुबह की सैर के लिए यह एक शानदार जगह है।

क्यों जाएं शांति निकेतन?
शांति निकेतन न केवल टैगोर की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को समझने का अवसर देता है, बल्कि यह एक ऐसी जगह है जहां आप शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर प्रकृति और शांति के बीच समय बिता सकते हैं। यहाँ की बाउल संगीत की धुनें, स्थानीय व्यंजन जैसे भापा इलिश और पिठे, और ग्रामीण बंगाल की सादगी आपके मन को सुकून देगी।

यात्रा सुझाव:
अक्टूबर से फरवरी, जब मौसम सुहावना होता है। बसंत उत्सव (मार्च) और पौष मेला (दिसंबर) के लिए पहले से बुकिंग करें। बोलपुर और शांति निकेतन में कई होमस्टे, रिसॉर्ट्स (जैसे रंगमती गार्डन रिसॉर्ट) और सरकारी लॉज (पंथशाला) उपलब्ध हैं। शांति निकेतन में साइकिल, रिक्शा या टोटो से घूमना आसान और किफायती है।

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