मिरर मीडिया : पेंशनर दिवस पर रविवार को धनबाद के रेलवे रिटायरमेंट एसोसिएशन ने कार्यक्रम का आयोजन किया। धनबाद के पुराना स्टेशन हेल्थ यूनिट के बगल में आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ो रेल कर्मचारी केंद्र कर्मचारी राज्य सरकार के कर्मचारी केंद्रीय अंडरटेकिंग कर्मचारी प्राइवेट कर्मचारी और बड़ी संख्या में कार्यरत कर्मचारियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य में बंद हुई पेंशन व्यवस्था से उठी परेशानी एवं सरकार से पुनः इसे लागू कराने की मांग थी। जिसमें एमके बनर्जी, बीआर सिंह, एसपी साहा,एलडी दास, एनके खावस, बासदेव मंडल, डी एल महतो, अरुण प्रसाद, अनिल कुमार सिन्हा, रहमान, और एसएन राम ने हिस्सा लिए।[su_image_carousel source=”media: 52327,52328,52329″ limit=”22″ crop=”none”]
गौरतलब है कि भारतीय रक्षा सेवा में वित्त सलाहकार के रूप में डी.एस. नकारा काम करते हुए वह 1972 में सेवानिवृत्त हुए। उस समय पेंशन व्यवस्था अंग्रेज़ों द्वारा लागू की गई थी, लेकिन आज़ादी के बाद कुछ कारणों से बंद कर दी गई। तब डी.एस नकारा ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर कहा कि उन्होंने देश की कितनी सेवा की है, यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें बुढ़ापे में सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करे।
उसके बाद इसकी लड़ाई चल पड़ी और इस मामले में केंद्र सरकार को प्रतिवादी के तौर पर शामिल किया गया। बहस खत्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश, महान न्यायाधीश वाईबी चंद्र चौधरी द्वारा 17 दिसंबर 1982 को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया कि पेंशन कर्मचारी का अधिकार है और यह सरकार की मीठी इच्छा नहीं है जैसे लोग भिखारियों को कुछ देकर मदद करते हैं। पेंशन पाना सेवानिवृत्त लोगों का अधिकार है। इसीलिए इस फैसले को पेंशनभोगियों का “मैग्ना कार्टा” कहा जाता है।
लिहाजा इस ऐतिहासिक फैसले के दिन से 1983 से हर साल 17 दिसंबर को पेंशनर दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।