डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: होलिका दहन के समय इस चालीसा का करें पाठ:बिहार से लेकर झारखण्ड समेत देशभर के राज्यों में होली की तैयारियां जोर –शोर से जारी है। देश –विदेश से लोग अपने –अपने घर पहुंच रहे हैं। इस पर्व का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही परिवार के सदस्य बुरी नजर से बचे रहते हैं। मान्यता है कि होलिका दहन की पूजा में विशेष चीजों को शामिल करना फलदायी होता है और पूजा सफल होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि होलिका दहन की पूजा थाली में किन चीजों को शामिल करना चाहिए।
पूजा की थाली में इन सामग्रियों का करें इस्तमाल
होलिका दहन की पूजा थाली में विशेष चीजों को अवश्य शामिल करना चाहिए। होलिका दहन की पूजा के लिए नारियल, गुलाल, अक्षत, रोली, फूल, दीपक, देशी घी, गोबर से बनी गुलरी, हल्दी आदि चीजें शामिल करना चाहिए।
इस शुभ मुहूर्त पर करें होलिका दहन
होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त 24 मार्च को देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है। होलिका दहन का समय 1 घंटे 14 मिनट का है। भद्रा पूंछ की अवधि के दौरान भी होलिका दहन किया जाता है। इस दिन भद्रा पूंछ में होलिका दहन का समय शाम 06 बजकर 33 मिनट से लेकर 07 बजकर 53 मिनट तक है।
विष्णु चालीसा का करें पाठ

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है। साथ ही इस दिन विष्णु चालीसा का पाठ भी बेहद कल्याणकारी होता है। ऐसे में सभी साधक को विष्णु चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए ।
।।विष्णु चालीसा॥
॥दोहा॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
”चौपाई”
नमो विष्णु भगवान खरारी,
कष्ट नशावन अखिल बिहारी।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत,
सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत,
बैजन्ती माला मन मोहत ॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे,
देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,
काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,
दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण,
कष्ट नाशकर भक्त उबारण।
करत अनेक रूप प्रभु धारण,
केवल आप भक्ति के कारण ॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,
तब तुम रूप राम का धारा।
भार उतार असुर दल मारा,
रावण आदिक को संहारा ॥
आप वाराह रूप बनाया,
हरण्याक्ष को मार गिराया।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,
चौदह रतनन को निकलाया ॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,
रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया,
असुरन को छवि से बहलाया ॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,
मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,
भस्मासुर को रूप दिखाया ॥
वेदन को जब असुर डुबाया,
कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया,
उसही कर से भस्म कराया ॥
असुर जलन्धर अति बलदाई,
शंकर से उन कीन्ह लडाई ।
हार पार शिव सकल बनाई,
कीन सती से छल खल जाई ॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,
बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,
वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥
देखत तीन दनुज शैतानी,
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,
हना असुर उर शिव शैतानी ॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,
हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे,
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥
हरहु सकल संताप हमारे,
कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,
दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥
चहत आपका सेवक दर्शन,
करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन,
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण,
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन,
कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,
कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई
हर्षित रहत परम गति पाई ॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई,
निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ,
भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥
सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,
निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै,
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥
॥ इति श्री विष्णु चालीसा॥
यह भी पढ़ें –
- 25 की जगह अब 26 को मनाई जाएगी होली, इस कारण हुआ बड़ा बदलाव, यहां जाने सही मुहूर्त
- हिरासत में राजनेता : क्या पत्नियां संभालेंगी सियासी कमान? – loksabha Election 2024
- गोल्फ ग्राउंड में मॉर्निंग वॉक करते Dhanbad के लोगों ने मतदाता जागरूकता हस्ताक्षर अभियान में लिया भाग
यहां पढ़े अन्य खबरें–
खबरें और भी हैं mirrormedia.co.in पर सीधे भी जाकर पढ़ सकते हैं, आप हमसे जुड़ सकते हैं Facebook, Instagram, X अपने सुझाव या खबरें हमें mirrormedia2019@gmail.com पर भेजें।