उपायुक्त ने डायन प्रथा उन्मूलन, नशा मुक्ति व स्वच्छ भारत अभियान, तंबाकू मुक्त कार्यक्रम के क्षेत्र में कार्यरत एनजीओ के साथ की बैठक, पद्मश्री छुटनी महतो हुई शामिल

Manju
By Manju
5 Min Read

जमशेदपुर : जिला उपायुक्त मंजूनाथ भजन्त्री की अध्यक्षता में डायन प्रथा उन्मूलन, नशा मुक्ति अभियान, स्वच्छ भारत अभियान, तंबाकू मुक्त कार्यक्रम के क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संगठनों के साथ बैठक सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिला उपायुक्त ने अपने संबोधन में कहा कि सामाजिक बदलाव की मुहिम के तहत दूसरी बार इस तरह की बैठक हो रही है। पिछली बैठक सिदगोड़ा टाउन हॉल में हुई थी। जिसमें मानकी मुंडा, ग्राम प्रधान आदि उपस्थित थे। उन्होंने सामाजिक बदलाव के अंतर्गत मुख्य बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि अंधविश्वास, डायन प्रथा, सामाजिक जुर्माना, समाजिक बहिष्कार जैसी कुरीतियां अभी भी गांवों में हो रहा है। इन सब पर अंकुश लाने की जरूरत और उनको रोकने के विभिन्न उपाय के बारे में चर्चा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह का अंधविश्वास का मुख्य कारण जमीन जायदाद के हड़पने की मंशा, लालच आदि को लेकर ही होता है, जिसे सामूहिक रूप से हतोत्साहित किए जाने व ग्रामीण क्षेत्र में व्यापक जनजागरूकता लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि डायन जैसी प्रथा का अभी भी हमारे समाज में होना हैरानी की बात है और इसका सजीव उदाहरण हमारे सामने पद्मश्री छुटनी महतो जी हैं, जो डायन प्रथा उन्मूलन के विरूद्ध इस मुहिम की जिले की ब्रांड एंबेस्डर भी हैं।

उपायुक्त ने नशापान पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि नशापन ने समाज में बहुत विकृत बदलाव लाए हैं। आदिवासी-गैर आदिवासी सभी समुदाय इस समस्या के जाल में फंसा हुआ है। उन्होंने कहा कि नशापन के कारण जो समुदाय किसी समय पूरी तरह से प्राकृतिक आहार ग्रहण करता था। वह अब केमिकल ग्रस्त नशे के चंगुल में आ गया है। उन्होंने कहा कि इस समाज में एडिक्शन और स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी पाई गई है, जिस पर अंकुश लगाना अत्यंत आवश्यक है। कई ऐसे गांव आज हमारे सामने हैं, जहां 40-50 वर्ष के ऊपर के पुरूष नजर नहीं आते हैं।

स्वच्छ भारत आभियान के अंतर्गत उपायुक्त ने कहा कि खुले में शौच को हर संभव प्रयास से अंकुश लगाना है। इस तरह की प्रेक्टिस से महिलाओं की सुरक्षा में परेशानी हो सकती है तथा उनके पोषण और स्वास्थ्य संबंधी बहुत सारी दिक्कतें उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि शौचालय का निर्माण कर देना ही उपलब्धि नहीं है, शौचालय का नियमित उपयोग किया जाना जरूरी है। इस तरह की समस्याओं के निराकरण संबंधित दिशा पर काम करने के लिए बेटियों को कुपोषण मुक्त बनाना, संस्थागत प्रसव, उनके शिक्षा के लिए बढावा देना जैसे विषयों पर काम करने की आवश्यकता की बात कही।

उपायुक्त ने विकास का अर्थ और उसके महत्व के बारे में बोलते हुए कहा की विकास का अर्थ सिर्फ आधारभूत संरचना निर्माण होना नहीं है। बल्कि समाज के रूप में हम कैसे नैतिक मूल्यों के साथ प्रगति करते हैं उससे है। उन्होने सभी स्वयंसेवी संस्थाओं से आह्वान किया कि अपने अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता का लाभ आमजनों को दें। एक-एक प्रखंड को गोद लेकर कार्य करें। ताकि सामाजिक कुरीतियों का समूल नाश किया जा सके। उन्होने कहा कि सिर्फ सरकार या प्रशासन के भरोसे बहुत बड़ा सामाजिक बदलाव नहीं लाया जा सकता, व्यक्तिगत रूप से सभी को आगे आकर कार्य करना होगा। तभी सामाजिक बुराईयो के खिलाफ जनांदोलन खड़ा होगा।

कार्यशाला में पद्मश्री छुटनी महतो ने अपनी आपबीती बताते हुए डायन प्रथा के उन्मूलन के विरूद्ध इस मुहिम के बारे में अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि साक्षर न होने के बावजूद वे अपने जीवन में डायन प्रथा के उन्मूलन के विरूद्ध इस मुहिम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती रही हैं, समाज काफी बदला है, और लोगों को भी आगे आकर कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि सामूहिक रूप से समाज में बदलाव लाया जा सके।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *