मिरर मीडिया : भारतीय पुरातत्व विभाग ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में किए गए सर्वे की रिपोर्ट सोमवार को सील बंद लिफाफे में जिला अदालत में पेश कर दी है। वहीं मुस्लिम पक्ष ने रिपोर्ट दाखिल किए जाने से पहले एक याचिका दायर की थी और रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं किए जाने की मांग की थी। एएसआई ने 1500 पन्नों की रिपोर्ट पेश की है। वाराणसी के जनपद न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट पेश की गई है। रिपोर्ट लेकर एएसआई की टीम अपने वकील के साथ जिला जज कोर्ट में मौजूद रहे।
कोर्ट में हिन्दू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, मान बहादुर सिंह, महेंद्र प्रसाद पाण्डेय डीजीसी सिविल वाराणसीए वादी मंजू व्यास, सीता साहू, लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक मौजूद रहे. मुस्लिम पक्ष के वकील भी कोर्ट में मौजूद रहे। हिंदू चिह्न और प्रतीक से संबंधित लेखों की सूची के साथ सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की गई है। मामले में अगली सुनवाई के लिए 21 दिसंबर की तारीख तय की गई है।
हिंदू पक्ष ने रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में पेश किए जाने का विरोध किया है। वहीं हिंदू पक्ष के एक वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट का वायलेशन है। सीलबंद में कॉपी दी गई है। ये बिल्कुल गलत है। मुस्लिम पक्ष कह रहा है कि किसी को रिपोर्ट न दिखाई जाए। हमने रिपोर्ट की कापी के लिए अर्ज़ी डाली है। सभी पक्षकारों को रिपोर्ट की कॉपी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 21 तारीख का इंतजार करेंगे, फिर देखेंगे।
गौरतलब है कि ज्ञानवापी मामला उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच एक जटिल कानूनी विवाद है। इस मामले की शुरुआत 1991 में हिंदू पक्ष द्वारा दायर एक याचिका के साथ हुई थी। आरोप लगाया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर भगवान विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर किया गया था। इससे मस्जिद परिसर पर अधिकार की कानूनी लड़ाई शुरू हुई।
ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार पर हिंदू देवताओं की पूजा करने के अधिकार का दावा किया है। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार पर मां श्रृंगार गौरी सहित हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने की इजाजत मांगी है। इस दावे को वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी मामले में हिंदू देवताओं की पूजा करने के अधिकार के लिए उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए बरकरार रखा है।
जबकि इसके विपरीत ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मूर्तियों के टुकड़े मिलने के हिंदू पक्ष के दावे को पहले ही खारिज किया है। उन्होंने ज्ञानवापी परिसर के अंदर ‘वुज़ू’ की प्रथा जारी रखने के लिए कोर्ट से अनुमति भी मांगी है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से सर्वे के विरोध की कोशिश की गई थी लेकिन कोर्ट में उनकी सुनवाई नहीं हुई। मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष पर अफवाह फैलान का आरोप लगाया था।