मिरर मीडिया : मंगलवार को ईडी की विशेष अदालत के आदेश के बाद यूक्लियस माॅल के संचालक विष्णु अग्रवाल को न्यायिक हिरासत में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में भेज दिया गया है।
वहीं रांची में जमीन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी विष्णु अग्रवाल को रिमांड पर लेने के लिए सात दिनों की अनुमति मांगी है। ईडी की रिमांड आवेदन पर बुधवार को सुनवाई होगी। अपनी रिमांड आवेदन में ईडी ने इस बात का जिक्र किया है कि विष्णु अग्रवाल व रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन ने मिलकर जमीन की खरीद-बिक्री में खूब फर्जीवाड़ा किया है।
दोनों फेसटाइम व वाॅट्सएप पर बातचीत करते थे। छवि रंजन अभी जेल में हैं। ईडी को अनुसंधान में इस बात की भी जानकारी मिली है कि विष्णु अग्रवाल ने जानबूझकर जमीन की खरीद-बिक्री में फर्जीवाड़ा किया।
रांची के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन ने विभाग के आदेश को दरकिनार कर विष्णु अग्रवाल को लाभ पहुंचाया था। खबर के अनुसार 15 करोड़ की जमीन के लिए सिर्फ तीन करोड़ का प्रमाण सिरमटोली चौक के पास वार्ड नंबर छह स्थित एमएस प्लाट नंबर 908, 851 व 910 में 5.883 एकड़ सेना के कब्जे में है। इस जमीन की विष्णु अग्रवाल ने गलत तरीके से खरीद-बिक्री की थी और छवि रंजन की मदद से फर्जीवाड़ा किया था।
जमीन की डीड में 15 करोड़ रुपये में खरीदे जाने का जिक्र है, लेकिन सिर्फ तीन करोड़ रुपये के भुगतान का ही खुलासा हुआ है। 12 करोड़ रुपये के चेक से भुगतान का जिक्र है।
जमीन के लिए विष्णु अग्रवाल ने महुआ मित्रा को छह फरवरी, 2018 को डेढ़ करोड़ रुपये एनईएफटी, संजय घोष को एनईएफटी से डेढ़ करोड़ रुपये, महुआ मित्रा को चेक से पांच करोड़, 92 लाख 50 हजार रुपये, संजय घोष को चेक से पांच करोड़ 92 लाख 50 हजार रुपये, टैक्स के रूप में 15 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
इस तरह उक्त जमीन के लिए कुल 15 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 15 करोड़ रुपये में महुआ मित्रा को अनुश्री अग्रवाल के खाते से डेढ़ करोड़ व संजय घोष को विष्णु अग्रवाल के खाते से डेढ़ करोड़ रुपये का भुगतान हुआ।
चेक से महुआ मित्रा को पांच करोड़ 92 लाख 50 हजार व संजय घोष को पांच करोड़ 92 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान डीड में दिखा गया था, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।
जबकि विष्णु अग्रवाल को लाभ पहुंचाने के लिए छवि रंजन ने पांच जुलाई, 2022 को एक आदेश पारित किया था। उन्होंने जिला अभिलेखागार व तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी से पूछा था कि अगर उक्त जमीन का भू-अर्जन हुआ है, तो उसका विस्तृत ब्योरा दें। इससे संबंधित दस्तावेज भी ईडी के पास उपलब्ध हैं।