कौन हैं सुदर्शन रेड्डी? जिन्हें इंडिया गठबंधन ने बनाया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार

Neelam
By Neelam
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उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। इंडिया ब्लॉक ने सुप्रीम कोर्ट पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इनके नाम का एलान किया। इससे पहले विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर फैसला लेने और उसकी घोषणा करने के लिए 10 राजाजी मार्ग पर बैठक की थी। बैठक के बाद विपक्ष ने उनके नाम का एलान किया। बी. सुदर्शन रेड्डी  21 अगस्त को अपना नामांकन दाखिल करेंगे।

मल्लिकार्जुन खरगे ने की नाम की घोषणा

उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषमा करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, बी. सुदर्शन रेड्डी भारत के सबसे प्रतिष्ठित और प्रगतिशील न्यायविदों में से एक हैं। उनका एक लंबा और प्रतिष्ठित कानूनी करियर रहा है। वे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में काम कर चुके हैं। वे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के एक निरंतर और साहसी समर्थक रहे हैं। वे एक गरीब हितैषी व्यक्ति हैं। यदि आप उनके कई फैसले पढ़ेंगे, तो आपको पता चलेगा कि उन्होंने कैसे गरीबों का पक्ष लिया और संविधान व मौलिक अधिकारों की रक्षा की।

राधाकृष्णन बनाम सुदर्शन रेड्डी

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और गोवा के पूर्व लोकायुक्त जस्टिस (रिटायर्ड) बी. सुदर्शन रेड्डी को इंडिया ब्लॉक ने उम्मीदवार बनाया है। वह सत्ता पक्ष के उम्मीदवार और भाजपा नेता सीपी राधाकृष्णन को सीधी चुनौती देंगे। ऐसे में अब 9 सितंबर को राधाकृष्णन बनाम सुदर्शन रेड्डी होगा। खास बात है कि इंडिया गठबंधन में सर्वसम्मति से नाम चुनने पर जोर दिया जा रहा था। वहीं, ममता बनर्जी की टीएमसी ने गैर राजनीतिक नाम चुनने की वकालत की थी। ऐसे में इंडिया ब्लॉक में एकता का संदेश देने के लिए बी. सुदर्शन रेड्डी के साथ मुकाबले में उतरने का फैसला लिया है।

कौन हैं सुदर्शन रेड्डी?

जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म 8 जुलाई 1946 को आंध्र प्रदेश के रंगा रेड्डी ज़िले के आकुला मायलारम गांव में एक किसान परिवार में हुआ। उन्होंने साल 1971 में उस्मानिया यूनिवर्सिटी से क़ानून की पढ़ाई पूरी की और हैदराबाद में वरिष्ठ अधिवक्ता के. प्रताप रेड्डी के मार्गदर्शन में सिविल और संवैधानिक मामलों की प्रैक्टिस शुरू की। 8 अगस्त 1988 को वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में गवर्नमेंट प्लीडर नियुक्त हुए और बाद में केंद्र सरकार के लिए एडिशनल स्टैंडिंग काउंसिल की ज़िम्मेदारी निभाई। जस्टिस रेड्डी ने 1991 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में जज के तौर पर न्यायिक करियर की शुरुआत की। बाद में वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने और कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे।

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