मिरर मीडिया : स्वामी विवेकानन्द की जयंती को डी. ए. वी. सिंदरी में युवा दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य आशुतोष कुमार ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 1985 को अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया था, इसी बात को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार ने घोषणा की थी कि सन 1985 से हर वर्ष 12 जनवरी यानी स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस को देशभर में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाए।

उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में भारत सरकार का विचार था कि स्वामी जी का दर्शन, उनका जीवन तथा कार्य एवं उनके आदर्श भारतीय युवकों के लिए प्रेरणास्रोत साबित हो सकते हैं, उसके बाद से प्रति वर्ष स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस पर सन 1985 से हर साल 12 जनवरी को भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह मनाया जाता है, अमेरिका के शिकागो में 11 सितंबर 1893 को हुई। धर्म संसद में स्वामी जी ने अपने संबोधन की शुरुआत ‘अमेरिका के भाइयों और बहनों’ से की तो, पूरे 2 मिनट तक आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में तालियां गूंजती रहीं, ये घटना हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास में भी दर्ज हो गई।

स्वामी विवेकानंद जी युवावस्था में ही दमा और शुगर जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो गए थे, उन्होंने एक बार भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि ‘ये बीमारियां मुझे 40 साल भी पार नहीं करने देंगी,’ बता दें कि अपनी मृत्यु को लेकर उनकी ये भविष्यवाणी वाकई सच साबित हुई और उन्होंने महज 39 वर्ष की आयु में ही 4 जुलाई 1902 को दुनिया छोड़ दी।

साथ ही विद्यालय में युवा दिवस के उपलक्ष पर स्वामी जी के जीवन पर आधारित एक लघु नाटिका का मंचन कक्षा छह के छात्रों द्वारा किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं ने अपनी अभिनय प्रतिभा का परिचय दिया। कक्षा आठवीं के छात्र आदित्य नारायण ने अपने वक्तव्य से सभी का मन मोह लिया, वही शौर्य पाठक ने सभी को इस अवसर पर विवेकानंद जी की प्रतिज्ञा दिलाई।
इस अवसर पर विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।