डिजिटल डेस्क।कोलकाता: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल में बैंक धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग के एक बड़े मामले में छह लोगों के खिलाफ प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत विशेष पीएमएलए कोर्ट, कोलकाता में अभियोजन शिकायत दाखिल की है। यह मामला स्वर्गीय पूर्णेंदु दास द्वारा अपनी फर्म मेसर्स केपीएस एंटरप्राइज के माध्यम से किए गए करोड़ों रुपये के बैंक घोटाले से जुड़ा है, जिसमें उनके बेटे प्रसेनजीत दास और अन्य सहयोगियों की मिलीभगत सामने आई है। ईडी ने पीके एंटरप्राइजेज के मालिक प्रसेनजीत दास, चंदन सरकार और लाल्टू साहा सहित तीन अन्य को आरोपी बनाया है।
ईडी ने इस घोटाले की जांच सीबीआई और बैंक सिक्योरिटी एंड फ्राड सेल (बीएसएंडएफसी), कोलकाता द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। जांच में पता चला कि पूर्णेंदु दास ने बांग्लादेश को प्याज निर्यात करने के नाम पर तत्कालीन इलाहाबाद बैंक (अब इंडियन बैंक) से ₹8 करोड़ की पैकिंग क्रेडिट और 25 करोड़ की फॉरेन बिल नेगोशिएशन सुविधा हासिल की थी। हालांकि, उन्होंने निर्यात से जुड़े जाली दस्तावेज और फर्जी बिल जमा कराए, जिससे बैंक को कुल 26.72 करोड़ का भारी नुकसान उठाना पड़ा। 25 करोड़ के बिलों को इलाहाबाद बैंक ने नेगोशिएट किया था, लेकिन बांग्लादेशी बैंकों ने यह कहते हुए भुगतान से इन्कार कर दिया कि उन्हें कोई निर्यात माल प्राप्त ही नहीं हुआ।
ईडी ने पाया कि लोन की पूरी राशि स्वर्गीय पूर्णेंदु दास ने अपने बेटे की फर्म मेसर्स पीके एंटरप्राइज और अपने निजी बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी थी। इसके अलावा, कथित सप्लायरों के नाम पर 70 बेयरर चेक जारी किए गए और कंपनी के कर्मचारियों की मदद से इन चेकों के जरिए बड़ी मात्रा में नकदी निकाली गई। इस तरह फर्जी बिलिंग और नगद निकासी के माध्यम से करोड़ों रुपये का गबन किया गया। एजेंसी ने बताया कि धन शोधन और बैंक धोखाधड़ी का यह पूरा नेटवर्क बेहद सुव्यवस्थित तरीके से संचालित किया गया, जिसमें कई व्यक्तियों और फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया गया। इस मामले में इससे पहले ईडी 34.42 लाख मूल्य की पांच अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच कर चुकी है।

