जांच हुई तो ही पता चला कि बगैर मान्यता का है तेतुलमारी का वो विद्यालय : कुमार मधुरेंद्र ने उठाए सवाल कि आखिर किसके आदेश से जिले में ऐसे विद्यालय किये जा रहें है संचालित : उपायुक्त से कि कार्रवाई की मांग

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मिरर मीडिया : बिंदी लगाकर स्कूल आने से टीचर द्वारा अपमानित किये जाने पर तेतुलमारी में नाबालिग छात्रा के आत्महत्या मामले में जहाँ शनिवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं राज्य बाल संरक्षण आयोग की प्रतिनिधिमंडल ने पीड़िता के घर पहुंचकर हर एक पहलु की बारीकी से जांच कि वहीं इस जांच ने कई सारे सवाल भी खड़े कर दिए हैं।

इसी सवाल के क्रम में समाजसेवी कुमार मधुरेंद्र ने जिले में बगैर मान्यता के संचालित विद्यालयों को लेकर उपायुक्त को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है। उन्होंने इस संदर्भ में लिखा है कि बिना मान्यता के धनबाद जिले में किसके आदेश से विद्यालय संचालित हो रहा है? जबकि इस मामले में उन्होंने बाघमारा शिक्षा विभाग पदाधिकारी के क्रियाकलाप पर भी प्रश्न चिन्ह लगाएं हैं।

ज्ञात रहें कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो ने आत्महत्या से जुड़े इस जांच के बाद ट्वीट कर यह बताया कि

उक्त स्कूल बग़ैर मान्यता के चलाया जा रहा है।
पुलिस ने जाँच में अनेक लापरवाहियां की हैं व आरोपियों का पुलिस रिमांड तक नहीं माँगा जबकि अभी तक स्कूल में जा कर जाँच ही नहीं की गयी है।

इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि BDO ने हमको पीड़ित परिवार से मिलने से रोकने के लिए झूठ कहा कि परिजन गाँव चले गए हैं। जबकि पीड़ित अनुसूचित जाति की बालिका थी तत्संबंध में धारायें FIR में नहीं है।

वहीं कुमार मधुरेंद्र ने भी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं राज्य बाल संरक्षण आयोग के प्रतिनिधिमंडल के जांच का हवाला देते हुए धनबाद जिले के नाम पर ऐसे शिक्षा विभाग के पदाधिकारी और विद्यालय प्रबंधन पर कार्रवाई करने कि मांग की है।

उन्होंने वहां पढ़ रहे बच्चों को किसी दूसरे मान्यता प्राप्त स्कूल में समावेश करने के लिए आग्रह किये हैं जिससे बच्चों का भविष्य ख़राब ना हो। उन्होंने पत्र में आगे लिखा है कि इस संबंध में सभी पहलुओं पर आप राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय बाल संरक्षण अधिकार आयोग से खुद वार्ता कर अवगत हो ले, समाज हित में निर्णय ले ऐसे विधालय का संचालन जहां भी गैर मान्यता प्राप्त हो झारखंड सरकार शिक्षा विभाग से मंतव्य लेते हुए कड़ी कार्रवाई की जाए।

अब ये सवाल तो समाजसेवी कुमार मधुरेंद्र ने उठाया है पर सवाल तो वाज़िब बनता है कि जिले में ऐसे अवैध तरीके से बिना मान्यता के विद्यालय का संचालन आखिर किसके सह पर होता है क्या इसकी देखरेख की जिम्मेवारी किसी की नहीं बनती है। और अगर ये विद्यालय किसी के संरक्षण में संचालित हो रहा है तो उसपर कार्रवाई अबतक क्यूं नहीं की गई?

ऐसे कई सारे सवाल हैं जिनका जवाब शिक्षा विभाग को देना चाहिए। बहरहाल अब जब इस तरह कि घटना घटित हो गई है तो जांच में ये भी उजागर हुआ कि उक्त विद्यालय बिना मान्यता के है। पर शायद बिना जांच के ये पर्दे में ही रहता। अब यह देखना होगा कि उक्त विद्यालय और उसके आरोपी टीचर पर कब और कैसे कार्रवाई की जाती है?

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