आखिर क्यों अधिक मास में भगवान विष्णु की होती है पूजा? इसके पीछे क्या है पौराणिक कथा? इस मास में भगवान विष्णु को कैसे करें प्रसन्न?

Anupam Kumar
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मिरर मीडिया : हिंदू पंचांग के मुताबिक इस साल जुलाई माह में अधिक मास पडा है । यानी अधिक मास के कारण यह साल 12 नहीं कुल 13 महीनों का होने वाला है।
सनातन धर्म में अधिक मास बहुत महत्वपूर्ण और पूजा पाठ के लिए बहुत शुभ और पुण्यकर माह माना जाता है। 18 जुलाई दिन मंगलवार के दिन अधिक मास या मलमास की शुरुआत हो चुकी है। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है, क्योंकि इसके स्वामी भगवान श्री हरि विष्णु है। मान्यता है कि इस मास में किए गए धार्मिक कार्यों और पूजा पाठ का अधिक फल प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

क्या है अधिक मास जोड़ी पौराणिक कथा?

हिंदू धर्म में अधिक मास से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार एक बार हिरण्यकश्यप ने कठोर तप से भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न किया और उनसे अमरता का वरदान मांगा लेकिन अमरता का वरदान देना निषिद्ध था, इसलिए भगवान ब्रह्मा ने उसे कोई और वरदान मांगने को कहा- तब हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से कहा आप ऐसा वरदान दें जिससे संसार का कोई नर-नारी, पशु, देवता, असुर उसे मार ना सके और वर्ष के सभी 12 महीनों में भी उसकी मृत्यु ना हो।
उसकी मृत्यु न दिन में हो ना रात को, वह ना किसी अस्त्र से मरे और ना किसी शस्त्र से, उसे न घर के अंदर मारा जा सके और ना ही घर के बाहर। ब्रह्मा जी ने उसे ऐसा ही वरदान दिया लेकिन इस वरदान के मिलते ही हिरण्यकश्यप स्वयं को अमर और भगवान के समान मानने लगा।तब भगवान विष्णु अधिक मास में नरसिंह अवतार के रूप में प्रकट हुए और शाम के समय देहरी के नीचे अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का सीना चीर कर उसे मृत्यु के द्वार भेज दिया।
तभी से यह मास भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसी मान्यता है की इस मास में भगवान विष्णु से मांगी गई सभी मुरादे पुरी होती है। घर की सभी बीमारी एवं दरिद्रता का नास होता है।
अधिक मास में क्या करें दान?
सनातन धर्म अनुसार अधिक मास में दीपदान, मालपुआ , पीला कपड़ा और पान का दान करने से व्रत एवं तीर्थ यात्रा इतना पुण्य मिलता है और दरिद्रता दूर होता है।

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