खरना यानी लोहंडा के महाप्रसाद के साथ आज से शुरू होगा 36 घंटे का छठ महापर्व का निर्जला उपवास

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मिरर मीडिया : नहाय खाय के बाद आज 18 नवंबर शनिवार को छठ पूजा का दूसरा दिन खरना यानी लोहंडा मनाया जा रहा है। खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण करना। व्रती नहाय खाय के दिन अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं, जिसकी शुरुआत अगले दिन करते हैं, इसलिए इसे खरना कहा जाता है। खरना कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होता है।

मान्यता है कि छठ पर्व की असली शुरुआत इसी दिन से होती है। खरना के दिन गुड़ और चावल से बनी खीर को खाकर ही 36 घंटे का कठिन व्रत शुरू होता है। इस महापर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।

आज सूर्योदय सुबह 6:46 और सूर्यास्त शाम 5:26 पर होगा। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत से हर मनोकामना पूरी होती है। पहले दिन नहाय खाय से इस व्रत की शुरुआत हो चुकी है। खरना के दिन महिलाएं और छठ व्रती सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनती हैं और नाक से मांग तक नारंगी सिंदूर लगाती हैं। खरना के दिन महिलाएं दिन भर व्रत करती हैं और शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद तैयार करती हैं।

सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। इस प्रसाद के बाद ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। छठ महापर्व खासतौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता था, लेकिन अब देश के कई राज्यों सहित विदेशों में भी रह रहें भारत के लोग इसे मनाते हैं।

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