यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए महिला जज ने CJI से मांगी इच्छा मृत्यु

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मिरर मीडिया : सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला जज द्वारा न्यायिक अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगने के मामले पर एक्शन लिया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देशों के तहत, इलाहाबाद उच्च न्यायालय को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें संबंधित न्यायिक अधिकारी की सभी शिकायतों की वर्तमान स्थिति की जानकारी मांगी गई है। महिला जज ने सीजेआई से आज सुबह 11 बजे तक अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति मांगी थी। जिस न्यायिक अधिकारी के ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं  उनकी डिटेल्ड जानकारी सुप्रीम कोर्ट को पहुंचेगी।

न्यायिक अधिकारी पर आरोप लगाने वाली ये महिला जज लखनऊ की रहने वाली बताई जा रही हैं। वो 2019 में जज बनीं। उनकी पहली पोस्टिंग बाराबंकी में हुई। इसी साल उनका ट्रांसफर बांदा में हुआ था। फिलहाल ये जानकारी मिली है कि वो छुट्टी पर हैं। जिले के प्रशासनिक अधिकारी इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

एक रिपोर्ट्स के मुताबित यूपी की एक जिला कोर्ट में तैनात महिला सिविल जज जूनियर डिवीजन ने सुप्रीम कोर्ट के CJI को पत्र लिखकर सनसनी फैला दी थी। मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे गए इस पत्र के जरिए देश की सभी कामकाजी महिलाओं के लिए एक संदेश दिया गया है। हालांकि इस वायरल पत्र की पुष्टि मिरर मीडिया नहीं करता है।

बता दें कि अपने तीन पन्नों के पत्र में महिला जज ने लिखा है कि अदालत में मेरा यौन उत्पीड़न हुआ। शिकायत करने पर और प्रताड़ित करने की धमकी दी गई। मैंने अपने साथ हुए यौन अत्याचार और मानसिक उत्पीड़न की शिकायत यूपी हाईकोर्ट की Appellate Court तक की। लेकिन मुझे कहीं से इंसाफ नहीं मिला। ऐसे में मुझे अपने सर्वोच्च अभिभावन (सीजेआई) से इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जानी चाहिए।

महिला जज ने अपना दर्द बयान करते हुए आगे ये भी लिखा- ‘मुझे क्या पता था कि मैं जिस भी दरवाजे पर जाऊंगी, मुझे न्याय के लिए भिखारी बना दिया जाएगा। मेरी सेवा के थोड़े समय से मुझे खुली अदालत में डायस पर दुर्व्यवहार का सम्मान मिला है। मेरे साथ हद दर्जे तक यौन उत्पीड़न किया गया है। कूड़े जैसा व्यवहार किया गया। मैं खुद को एक कीट की तरह महसूस कर रही हूं, जबकि मुझे दूसरों को न्याय दिलाने की आशा थी। मैं कितनी भोली थी। इसलिए मैं भारत की सभी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि यौन उत्पीड़न के साथ जीना सीखो। यही हमारे जीवन का सबसे बड़ा सत्य है। POSH एक्ट हमसे बोला गया एक बड़ा झूठ है। कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। शिकायत करोगी, तो प्रताड़ित किया जाएगा। मेरे कहने का मतलब ये है कि जब कोई नहीं सुनता, तो इसमें सुप्रीम कोर्ट भी शामिल है। आपको चंद सेकेंड की सुनवाई, अपमान और जुर्माना लगाने की धमकी मिलेगी।

महिला जज ने अपने पत्र में आरोप लगाते हुए लिखा, ‘एक विशेष जिला न्यायाधीश और उनके सहयोगियों ने मेरा यौन उत्पीड़न किया गया। मुझे रात में जिला जज से मिलने को कहा गया। अगले पैरे में लिखा है- ‘मैनें 2022 में मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद और प्रशासनिक न्यायाधीश से शिकायत की। आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. किसी ने मुझसे नहीं पूछा कि क्या हुआ। आप परेशान क्यों हैं? मैंने हाईकोर्ट की आंतरिक शिकायत समिति से शिकायत की। एक जांच शुरू करने में छह महीने और एक हजार ईमेल लग गए।

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