2025 में फिर से होगी देश की जनगणना : 15 साल बाद हर घर तक पहुंचेगी जानकारी जुटाने की मुहिम

KK Sagar
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देश में जनगणना को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। हर 10 साल बाद होने वाली जनगणना इस बार 15 साल बाद 2025 में शुरू की जाएगी। आखिरी बार यह जनगणना 2011 में हुई थी, लेकिन 2021 में कोरोना महामारी के कारण यह टल गई थी। केंद्र सरकार अब 2025 में जनगणना शुरू करने की योजना बना रही है, जो 2026 तक चलेगी। इसके तहत देश के हर नागरिक की जानकारी एकत्रित की जाएगी, जिससे जनसंख्या के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों का आकलन हो सकेगा।

जनगणना में देरी और इसका कारण

भारत में जनगणना हर 10 साल के अंतराल पर होती है। पिछली जनगणना 2011 में कराई गई थी, और अगली जनगणना 2021 में होनी थी। लेकिन कोरोना महामारी की गंभीर स्थिति के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। अब 2025 में यह प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी, जिससे देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे का अद्यतन डाटा मिल सकेगा।

2025 में जनगणना का संचालन और समयसीमा

सूत्रों के अनुसार, जनगणना प्रक्रिया में लगभग दो साल का समय लग सकता है, जिसके बाद 2028 तक लोकसभा सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। यह जनगणना भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चरणबद्ध तरीके से की जाएगी। सरकार ने इस कार्य के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है, जो घर-घर जाकर लोगों की जानकारी एकत्र करेंगे।

जनगणना के दौरान सरकार की रहेगी विशेष व्यवस्था

जनगणना के लिए केंद्र सरकार हर जिले में सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति करेगी, जो विशेष पहचान पत्र और नियुक्ति पत्र लेकर काम करेंगे। इन सरकारी कर्मचारियों का मुख्य कार्य घर-घर जाकर जानकारी एकत्र करना होगा। कई बार लोग अपनी व्यक्तिगत जानकारी देने से हिचकिचाते हैं, इसलिए ये कर्मचारी सरकार द्वारा अधिकृत होते हैं और उनके पास पहचान पत्र भी होता है, जिससे नागरिकों को भरोसा हो सके।

जातिगत जनगणना की संभावनाएं और विपक्ष की मांग

जनगणना के साथ ही कुछ विपक्षी दलों की ओर से जातिगत जनगणना की मांग भी उठ रही है। विपक्ष का कहना है कि जातिगत जनगणना से सामाजिक न्याय के मुद्दों पर बेहतर नीतियां बनाई जा सकती हैं। हालांकि, अभी तक सरकार ने इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। यदि सरकार इसे मंजूरी देती है, तो यह एक बड़ी जनगणना प्रक्रिया का हिस्सा हो सकती है।

परिसीमन प्रक्रिया में जनगणना का महत्व

जनगणना के बाद देश में लोकसभा सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया भी 2028 तक पूरी करने की योजना है। परिसीमन की इस प्रक्रिया के तहत जनसंख्या के अनुपात में संसदीय सीटों का पुनर्गठन किया जाएगा। इस प्रक्रिया से देश के लोकतांत्रिक ढांचे में संतुलन बनाने में मदद मिलेगी।

जनगणना से देश के सामाजिक, आर्थिक, और जनसंख्या के वास्तविक आंकड़ों का आकलन

जनगणना से देश के सामाजिक, आर्थिक, और जनसंख्या के वास्तविक आंकड़ों का आकलन किया जा सकेगा। इसके जरिए केंद्र और राज्य सरकारें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और विकास की नीतियों को और भी बेहतर तरीके से योजना बना सकती हैं। जनगणना के आंकड़े समाज की विभिन्न समस्याओं के समाधान और योजनाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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