पेन डे मनाने पर कार्मल स्कूल के प्रिंसिपल की शर्मनाक हरकत : छात्राओं के शर्ट उतरवाने पर बवाल, परिजनों ने की उपायुक्त से प्रिंसिपल की गिरफ्तारी की मांग

KK Sagar
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डिगवाडीह स्थित कार्मल स्कूल में 9 जनवरी को हुई एक शर्मनाक घटना ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैला दिया। दसवीं कक्षा की छात्राओं द्वारा स्कूल के आखिरी दिन “पेन डे” मनाने पर प्रिंसिपल ने इसे अनुशासनहीनता करार देते हुए छात्राओं की शर्ट उतरवा दी। इस अमानवीय व्यवहार से छात्राएं बेहद असहज हो गईं और रोते हुए अपने परिजनों को बुलाया।

इस घटना के विरोध में शनिवार को बड़ी संख्या में छात्राओं के परिजन उपयुक्त कार्यालय पहुंचे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। परिजनों ने बताया कि यह घटना न केवल अनुचित है बल्कि मानसिक रूप से बच्चों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि शर्ट उतरवाने की कार्रवाई के दौरान स्कूल में कुछ पुरुष शिक्षक भी मौजूद थे, जिससे बच्चियां और अधिक असहज हो गईं।

रागिनी सिंह ने बताया महिला के साथ ऐसी घटना बेहद ही शर्म नाक

वहीं,झरिया विधायक रागिनी सिंह ने कहा कि प्रिंसिपल खुद एक महिला है और महिला के साथ ऐसी घटना बेहद ही शर्म नाक है। उपयुक्त से बात करने के बाद हमें आश्वासन दिया गया है और हमें विश्वास है की कार्रवाई भी की जाएगी ऐसे प्रिंसिपल को जल्द से जल्द अपने पोस्ट से हटना चाहिए।

जांच कमेटी गठित, कार्रवाई का आश्वासन

उपायुक्त ने इस घटना को गंभीर मानते हुए जांच के लिए एक टीम गठित की है। उन्होंने कहा कि टीम स्कूल जाकर सभी पक्षों की जांच करेगी और जरूरत पड़ने पर एफआईआर दर्ज कर दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी। उनका कहना है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।

परिजनों की मांग: प्रिंसिपल निलंबित हों

छात्राओं के परिजनों ने कहा कि दसवीं कक्षा की बच्चियों के साथ ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है। उन्होंने बताया कि पेन डे एक परंपरा है, जिसमें बच्चे अपने सहपाठियों की यादें संजोते हैं। परंतु प्रिंसिपल द्वारा इस प्रकार की कार्रवाई न केवल अनुचित है बल्कि शर्मनाक भी है। परिजनों ने मांग की है कि प्रिंसिपल को तुरंत निलंबित कर गिरफ्तार किया जाए और दोषी शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।

बच्चों पर मानसिक प्रभाव का खतरा

बोर्ड परीक्षा नजदीक होने के कारण इस घटना से बच्चों पर मानसिक प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है। परिजनों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से बच्चों का आत्मविश्वास कमजोर होता है और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

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