धनबाद: सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी के स्थानांतरण के नाम पर एक लाख रुपये घूस मांगने के आरोप में धनबाद के सिविल सर्जन डॉक्टर चंद्रभानु प्रतापन और सिविल सर्जन कार्यालय के लिपिक संजुत कुमार सहाय के खिलाफ हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका कांग्रेस नेता इजहार अहमद बिहारी ने दायर की है, जिसमें झारखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को भी विपक्षी बनाया गया है।
हाई कोर्ट में दी गई जानकारी
इजहार अहमद बिहारी ने अपनी याचिका में बताया कि 23 जनवरी 2025 को अपने वकील रजनीश कुमार झा के माध्यम से सिविल सर्जन को लीगल नोटिस भेजा गया था, लेकिन घूस मांगने के आरोप पर कोई जवाब नहीं दिया गया। नोटिस का जवाब न मिलने के बाद हाई कोर्ट का रुख किया गया।
क्या है मामला?
धनबाद स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों के तबादले किए गए थे, जिसमें यशोदा देवी का भी स्थानांतरण शामिल था। इजहार अहमद ने आरोप लगाया कि जब वे यशोदा देवी के स्थानांतरण को लेकर सिविल सर्जन से मिले, तो उनसे एक लाख रुपये की मांग की गई। इस मामले की लिखित शिकायत उपायुक्त माधवी मिश्रा से भी की गई है।
सरकारी पदाधिकारी कर रहे भ्रष्टाचार
इजहार अहमद का कहना है कि सरकारी सेवकों को रिश्वत मांगना शोभा नहीं देता, लेकिन सिविल सर्जन के साथ-साथ लिपिक संजुत कुमार सहाय इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रांसफर और पोस्टिंग की जिम्मेदारी लिपिक को दी गई है, जो सरकार की छवि धूमिल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित वरीय अधिकारियों से भी इस संबंध में शिकायत की गई है।
सिविल सर्जन ने दिया जवाब
सिविल सर्जन डॉक्टर चंद्रभानु प्रतापन ने कहा कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन यदि ऐसा कुछ हुआ है, तो इसका जवाब हाई कोर्ट को दिया जाएगा।
इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है। अब देखना होगा कि हाई कोर्ट इस पर क्या निर्णय लेता है।