धनबाद -कोरोना संक्रमण काल में दर्जनों लोगों की जान बचाकर हीरो बने सदर अस्पताल के नोडल प्रभारी डॉ. राजकुमार सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने नोडल प्रभारी का त्यागपत्र सिविल सर्जन डॉ. चंद्रभानु प्रतापन को सौंपा है। इसके साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह, एनआरएचएम के निदेशक समेत अन्य अधिकारियों को भी इस्तीफा की पत्रलिपि भेजी है। डॉ. राजकुमार सिंह के इस्तीफा देने के बाद स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई है। उन्होंने बताया कि विभाग में समन्वय की कमी और लगातार हो रही प्रताड़ना के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
सिविल सर्जन से नहीं हो रहा था समन्वय
बताया जाता है कि डॉ. राजकुमार सिंह का सिविल सर्जन डॉ. चंद्रभानु प्रताप से समन्वय नहीं हो पा रहा था। निजी खींचतान के चलते कई जरूरी कार्य रुके पड़े थे। सदर अस्पताल में वित्तीय मामलों का अधिकार सिविल सर्जन कार्यालय के पास है, लेकिन वहां से सहयोग नहीं मिल रहा था। इस कारण चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही थीं।
अब मैं कार्य कर पाने में सक्षम नहीं
बता दें कि डॉ. राजकुमार सिंह एनेसथिसिया के विशेषज्ञ हैं। कोरोना काल में उनके उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए तत्कालीन उपायुक्त ने उन्हें नोडल प्रभारी की जिम्मेवारी दी थी। तब से वे लगातार बेहतर कार्य कर रहे थे। हालांकि सिविल सर्जन के कार्यभार संभालने के बाद से उन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा था। इसके बावजूद वे अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर रहे थे और अस्पताल के विकास के लिए हमेशा आगे रहते थे।
स्वास्थ्य व्यवस्था में किसी भी समस्या के लिए उन्हें ही दोषी ठहराया जाता था, जबकि सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे थे। जब इस संदर्भ में उनसे बात की गई, तो उन्होंने कहा, “अब मैं कार्य कर पाने में सक्षम नहीं हूँ।”
मंत्री ने भी सिविल सर्जन से जताई थी नाराजगी
पिछले दिनों सदर अस्पताल के दौरे पर आए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने सिविल सर्जन को कड़ी फटकार लगाई थी। उन्होंने कहा था कि आपसी कलह के कारण चिकित्सकीय सेवाएं बाधित हो रही हैं। वहीं, उपायुक्त माधवी मिश्रा ने भी जिले में चिकित्सा सेवाओं की बदहाली को लेकर कई बार सिविल सर्जन को फटकार लगाई थी।
कोरोना संक्रमण काल में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका
कोरोना संक्रमण काल में डॉ. राजकुमार सिंह और उनकी पत्नी डॉ. सोमा सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। दोनों स्वयं भी कोरोना संक्रमित हुए थे, फिर भी सदर अस्पताल को डेडीकेटेड कोविड केंद्र बनाकर सैकड़ों लोगों की जान बचाई। उनके इसी समर्पण को देखते हुए सरकार ने उन्हें नोडल प्रभारी नियुक्त किया था।