कोल्हान में मैट्रिक परीक्षा में चौंकाने वाला परिणाम, 7 स्कूलों के आधे से अधिक बच्चें फेल, शिक्षा सचिव ने प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई के दिए आदेश

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क/जमशेदपुर: झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) द्वारा हाल ही में घोषित मैट्रिक परीक्षा के परिणामों के विश्लेषण के बाद शिक्षा विभाग ने राज्यभर में कई स्कूलों में खराब प्रदर्शन पर कड़ा रुख अपनाया है। विशेष रूप से जमशेदपुर और कोल्हान प्रमंडल के सात ऐसे स्कूल सामने आए हैं जहां के आधे से अधिक बच्चे परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इन स्कूलों में से 54 बच्चों के आधे फेल होने की बात सामने आई है। शिक्षा सचिव ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इन सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को तत्काल हटाने और उन पर विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, जैक मैट्रिक परीक्षा के विस्तृत विश्लेषण के बाद यह चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। कोल्हान प्रमंडल, जिसमें जमशेदपुर, सरायकेला-खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम जिले शामिल हैं, के कुछ स्कूलों का प्रदर्शन विशेष रूप से निराशाजनक रहा है। शिक्षा सचिव ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इसे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया है।

प्रधानाध्यापकों पर गाज, कार्रवाई के आदेश

शिक्षा सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन सात स्कूलों में आधे से अधिक बच्चे फेल हुए हैं, उनके प्रधानाध्यापकों को तुरंत उनके पद से हटाया जाए। साथ ही, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का भी आदेश दिया गया है। यह कदम शिक्षा व्यवस्था में जवाबदेही तय करने और लापरवाह शिक्षकों पर नकेल कसने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

देवघर जिले का मामला गंभीर

देवघर के एक स्कूल में 33 शिक्षक कार्यरत हैं, लेकिन मैट्रिक की परीक्षा में केवल आठ बच्चों ने भाग लिया और आश्चर्यजनक रूप से, ये सभी बच्चे फेल हो गए। यह स्थिति शिक्षकों की संख्या और बच्चों के परीक्षा परिणाम के बीच के विरोधाभास को उजागर करती है और यह दर्शाती है कि केवल शिक्षकों की उपलब्धता ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी नहीं है।

शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही यह कार्रवाई एक चेतावनी है उन स्कूलों और शिक्षकों के लिए जो बच्चों के भविष्य के प्रति गंभीर नहीं हैं। यह देखना होगा कि इस कार्रवाई के बाद शिक्षा के स्तर में कितना सुधार आता है। शिक्षाविदों का मानना है कि केवल प्रधानाध्यापकों को हटाने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि शिक्षकों की गुणवत्ता, शिक्षण विधियों में सुधार और बच्चों की नियमित निगरानी पर भी ध्यान देना होगा। जमशेदपुर और कोल्हान सहित पूरे झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को इस तरह के परिणामों से उबरने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है।

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