अप्रत्याशित कोर्ट फीस में वृद्धि का अधिवक्ताओं ने काला बिल्ला लगाकर जताया विरोध : न्यायिक कार्यों से अलग रहने पर कई मामलों की नहीं हुई सुनवाई

Uday Kumar Pandey
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मिरर मीडिया धनबाद : बार काउंसिल के आवाहन पर सोमवार को सूबे के तमाम  अधिवक्ताओं ने खुद को न्यायिक कार्यों से अलग रखा और काला बिल्ला लगाकर अप्रत्याशित कोर्ट फीस वृद्धि का विरोध किया। इस बाबत अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्यों से अलग रहने के कारण सिविल कोर्ट धनबाद में जहां 83 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो सकी वहीं 54 विभिन्न मामलों में गवाहों की गवाही भी नहीं हो सकी। सोमवार को अधिवक्ता कोर्ट परिसर तो पहुंचे, लेकिन वे अपने सिरिस्ता पर ही बैठे रहे । अधिवक्ताओं ने काला बिल्ला लगाकर कोर्ट फीस में बढ़ोतरी का विरोध किया।

धनबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र सहाय ने इस मौके पर कहा कि सरकार कोर्ट फीस में बढ़ोतरी कर जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा रही है। कोर्ट फीस में दुगने से चार गुना की वृद्धि कर दी गई है। उन्होंने कोर्ट फीस में बढ़ोतरी को तत्काल वापस लेने की मांग सरकार से की है। उन्होंने कहा कि झारखंड स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर राज्य के करीब 25000 अधिवक्ता सोमवार को न्यायिक कार्य से दूर है

वहीं बार एसोसिएशन के महासचिव जितेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द कोर्ट फीस की बढ़ोतरी को वापस ले, अन्यथा आने वाले समय में और जोरदार आंदोलन होगा। राज्य में कोर्ट फीस में अचानक 200 प्रतिशत की वृद्धि किया जाना उचित नहीं है। इसका असर उन लोगों पर पड़ेगा, जिनका मुकदमा न्यायालय में चल रहा है। साथ ही अधिवक्ताओं पर भी प्रभाव पड़ेगा। पहले पांच रुपये न्यायालय में शुल्क देना पड़ता था, अब वृद्धि के कारण 20 रुपये देना पड़ेगा। वहीं, केस की नकल निकालने में भी मुवक्किल को अधिक शुल्क देना पड़ेगा। इसी तरह निचली अदालतों के वकालतनामा पर कोर्ट फीस पांच से बढ़ाकर 30 रुपये कर दी गई है। निचली अदालतों के शपथ पत्र पांच रुपये की जगह 20 एवं हाईकोर्ट में यह 30 रुपये हो गया है।विवाद से संबंधित सूट फाइल करने में अब अधिकतम तीन लाख रुपये की कोर्ट फीस लगेगी। वर्तमान में यह 50 हजार रुपये ही है। इससे दीवानी के साथ फौजदारी मामलों में केस फाइल करने का खर्च काफी बढ़ गया है। इसी तरह हाईकोर्ट में जनहितयाचिका दाखिल करने पर अब एक हजार रुपये लगेंगे। वर्तमान में 250 रुपये है। सामान्य आवेदन पर शुल्क 250 से 500 रुपये किया गया है।अपील एवं अदालत में रिप्रेजेंटेशन चार गुना महंगा हो गया है।

बार कांउसिल के स्टेयरिंग कमिटी के चेयरमैन राधेश्याम गोस्वामी ने कहा कि किसी भी राज्य में कोर्ट फीस इतनी ज्यादा बढ़ोतरी नहीं की गई है। बढ़ोतरी करने से पहले राज्य सरकार को बार काउंसिल से भी बात करनी चाहिए थी। लोग न्यायालय की शरण में आते हैं कि उन्हें सुलभ व सस्ता न्याय मिलेगा। इसके विपरीत, अगर न्यायालय का शुल्क महंगा होगा तो गरीबों को न्याय कैसे मिलेगा। इस ओर राज्य सरकार को ध्यान देना चाहिए।

मौके पर बार काउंसिल के सदस्य प्रयाग महतो, धनबाद बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष, मेघनाथ रवानी, सहायक कोषाध्यक्ष दीपक शाह, कार्यकारिणी सदस्य अमित कुमार सिंह ,अनिल त्रिवेदी, अरविंद सिन्हा ,राजन पाल, विभास महतो , हुसैन हैकल, शाहनवाज ,श्रीयांस  रिटोलिया, मोहम्मद रफीक, अनंत उपाध्याय , शाहाबाज सलाम ,सुबोध कुमार, रविंद्र कुमार,समेत दर्जनों अधिवक्ता उपस्थित थे।

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मैं उदय कुमार पाण्डेय, मिरर मीडिया के न्यूज डेस्क पर कार्यरत हूँ।
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