October 3, 2023

Mirrormedia

Jharkhand no.1 hindi news provider

मणिपुर हिंसा के बाद राजधानी आईजोल समेत मिजोरम के कई इलाकों में किया गया विरोध प्रदर्शन, राज्य की बढ़ाई गई सुरक्षा

1 min read

मिरर मीडिया : मणिपुर में हुए हिंसा की आग अब पड़ोसी राज्य मिजोरम तक पहुंच चुकी है। मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और यौन उत्पीड़न का वीडियो वायरल होने के बाद नस्लीय तनाव और बढ़ गया है ।अब मिजोरम में रह रहे मैतेई समुदाय के लोगों के बीच डर का माहौल है।
मैतेई लोगों ने मिजोरम छोड़ना शुरू कर दिया है। मिजोरम के पूर्व उग्रवादियों के एक समूह ने मैतेई लोगों को धमकी दी थी कि वे “अपनी सुरक्षा” के लिए राज्य से चले जाएं।इसके बाद अब मणिपुर सरकार ने भी कहा कि वो चार्टर्ड फ्लाइट के जरिये लोगों को मणिपुर लाने के लिए तैयार है।

इसी बीच जातीय संघर्षग्रस्त मणिपुर में ‘जो’ लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए नागरिक समाज संगठनों ने मंगलवार को पूरे मिजोरम में प्रदर्शन किया। मिजोरम के मिजो लोग का मणिपुर के कुकी, बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों के कुकी-चिन और म्यांमार के चिन के साथ जातीय संबंध है। इन्हें सामूहिक रूप से ‘जो’ के रूप में पहचाना जाता है।

एनजीओ समन्वय समिति, सेंट्रल यंग मिजोजो एसोसिएशन (सीवाईएमए) और मिजो जिरलाई पावल (एमजेडपी) सहित पांच प्रमुख नागरिक समाज संगठनों के एक समूह ने राज्य की राजधानी आइजोल सहित मिजोरम के विभिन्न हिस्सों में रैलियों का आयोजन किया।

बता दें कि पड़ोसी राज्य में हिंसा की निंदा करते हुए हजारों लोगों ने बैनर और पोस्टर लेकर रैलियों में भाग लिया। इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए सत्तारूढ़ एमएनएफ के कार्यालय बंद कर दिए गए। रैलियों में एमएनएफ कार्यकर्ता भी शामिल हुए। एमएनएफ के अलावा, विपक्षी भाजपा, कांग्रेस और जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने भी एकजुटता रैलियों के समर्थन में अपने कार्यालय बंद रखे।

हालांकि, प्रदर्शन को देखते हुए पूरे राज्य में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सभी जिलों में, खासकर संवेदनशील इलाकों में पुलिस की भारी तैनाती, गश्त और कड़ी निगरानी सुनिश्चित की गई।

ध्यान देने योग्य है कि 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 160 से अधिक लोगों की जान चली गई है और कई घायल हुए हैं। दरअसल, जब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) की स्थिति की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। धीरे-धीरे यह प्रदर्शन, हिंसा में बदल गई, जिसकी आग में आज भी राज्य सुलग रहा है।

मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते है |

Share this news with your family and friends...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.