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30 जुलाई को एनीमिया मुक्त भारत अभियान, लगेगा मेगा कैम्प, जांच ही नही, होगा उपचार भी, डीसी ने कहा-एनीमिया मुक्त जिला बनाने के लिए कमर कस लें अधिकारी

जमशेदपुर : जिला उपायुक्त विजया जाधव द्वारा जिले के सभी प्रखंड अंतर्गत स्वास्थ्य उप केन्द्रों में 30 जुलाई को एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत आयोजित होने वाले मेगा कैम्प को लेकर सभी संबंधित पदाधिकारियो के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक किया गया। जिला उपायुक्त ने स्पष्ट कहा कि एक भी एनीमिया ग्रस्त महिला या बच्चे जिला प्रशासन की नजर से नहीं छूटें इसे सुनिश्चित करें। मेगा कैम्प की सफलता के लिए जिले में उपलब्ध हीमोग्लोबीनोमीटर व स्ट्रीप की उपलब्धता की समीक्षा के क्रम में सिविल सर्जन ने जानकारी दी कि पर्याप्त संख्या में दोनों उपलब्ध हैं, किसी सेंटर में कमी होगी या उपकरण खराब होने की स्थिति में 29 जुलाई को निश्चित रूप से उपलब्ध करा दिया जाएगा। जिला उपायुक्त ने कैम्प की शत प्रतिशत सफलता के लिए अभी से सभी संबंधित पदाधिकारी को जुट जाने के निर्देश दिए। उन्होने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को 29 जुलाई को जरूरी उपकरण की समीक्षा करते हुए सीडीपीओ के माध्यम से महिला सुपरवाइजर, आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका को कैम्प के सफल आयोजन के लिए जरूरी निर्देश देने की बात कही।

पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत कुल 243 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों में आयोजित होने वाले मेगा कैम्प में गर्भवती व धात्री महिला को लाने की जिम्मेदारी सभी आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका को दी गई। गांव-गांव में प्रचार प्रसार व लोगों को जागरूक करने के लिए सभी नवनिर्वाचित जिला परिषद सदस्य, मुखिया, पंसस, वार्ड सदस्य, प्रधान, माझी से सहयोग की अपील की गई है, ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लाभार्थी कैम्प में आकर अपनी जांच सुनिश्चित करायें।

जिला में 1 जुलाई से चलाये जा रहे एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत जिला प्रशासन का प्रयास है कि जिले से एनीमिया का समूल उन्मूलन सुनिश्चित किया जा सके। जिला उपायुक्त ने सिविल सर्जन को निदेशित करते हुए कहा कि 7% से कम हीमोग्लोबिन पाये जाने या गंभीर रूप से एनीमिया ग्रस्त महिलाओं सिर्फ जांच नहीं बल्कि उसका समुचित उपचार भी सुनिश्चित करेंगे। उन्होने बताया कि हीमोग्लोबिन हमारे खून में पाया जाता है और हमारे शरीर में आक्सीजन पहुंचाता है। खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा का एक स्तर से कम हो जाना एनीमिया कहलाता है। शरीर में आयरन की कमी इसका सबसे सामान्य लक्षण है। इसके साथ ही फोलेट (Folet), विटामिन बी 12 और विटामिन ए की कमी, ज्यादा समय से सूजन एवं जलन, परजीवी संक्रमण तथा आनुवंशिक विकार भी एनीमिया के कारण हो सकते है । एनीमिया की गंभीर स्थिति में थकान, कमज़ोरी, चक्कर आना और सुस्ती इत्यादि समस्याएं होती हैं। गर्भवती महिलाएं और बच्चे इससे विशेष रूप से प्रभावित होते हैं।

जिला उपायुक्त ने दुर्गम क्षेत्र में निवास करने वाले नागरिक, पड़ोसी राज्यों से लगने वाले पंचायत, जिनकी दूरी प्रखंड मुख्यालय से ज्यादा है, वैसे स्थानों पर विशेष ध्यान देते हुए लोगों के बीच व्यापक जनजागरूकता लाने के निर्देश दिए, ताकि वे अपने नजदीकी स्वास्थ्य उप केन्द्र में आकर एनीमिया जांच जरूर करायें। जिला उपायुक्त ने जिला से लेकर प्रखंड स्तर के सभी संबंधित विभागीय पदाधिकारी को आपस में समन्वय स्थापित करते हुए कैम्प की सफलता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

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