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भगवान श्री राम की 108 फीट ऊंची प्रतिमा के आधारशिला का गृह मंत्री अमित शाह ने किया शिलान्यास

मिरर मीडिया : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार शाम को कुरनूल जिले के मंत्रालयम में भगवान राम की 108 फीट ऊंची पंचलोहा प्रतिमा की आधारशिला रखी, जिसे देश की सबसे ऊंची पत्थर की मूर्ति माना जाता है।

इस अवसर पर, उन्होंने इस तरह की भव्य परियोजना शुरू करने के लिए जय श्री राम फाउंडेशन और मंत्रालयम मंदिर के अधिकारियों की सराहना की। मंत्रालयम मंदिर द्वारा प्रदान की गई भूमि पर भगवान राम की मूर्ति स्थापित करने की तैयारी है। इस परियोजना के अगले दो वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है।

बता दें कि भगवान राम की सबसे ऊंची प्रतिमा 300 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनाई जाएगी। प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वनजी सुतार, जो गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति पर अपने काम के लिए जाने जाते हैं, को मूर्ति को डिजाइन करने का काम सौंपा गया है।

प्रतिष्ठित श्री राघवेंद्र स्वामी मठ के पास 10 एकड़ की विशाल भूमि में प्रतिमा के सामने भगवान राम का एक भव्य मंदिर भी बनाया जाएगा। इस मंदिर का निर्माण मंदिर के डिजाइन और निर्माण की देखरेख करने वाले वास्तुकारों में से एक डॉ. ए वेलु के कुशल मार्गदर्शन में एक पत्थर की संरचना के रूप में किया जाएगा।

मंत्रालयम में राम मंदिर के परिसर में कई छोटे मंदिरों के निर्माण के लिए महत्वाकांक्षी योजनाएँ तैयार की जा रही हैं। यह प्रतिमा अत्यधिक महत्व रखती है क्योंकि राघवेंद्र स्वामी परमात्मा के प्रबल भक्त थे।

मालूम हो कि भगवान राम की मूर्ति तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थापित होगी। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस परियोजना के लिए तुंगभद्रा नदी तट पर स्थित मंत्रालयम गांव में 10 एकड़ क्षेत्र में काम होगा, जोकि ढाई साल में पूरा हो जाएगा। इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि तुंगभद्रा नदी के तट पर उत्पन्न हुए महान विजयनगर साम्राज्य ने पूरे दक्षिण से आक्रमणकारियों को खदेड़कर ‘स्वदेश और स्वधर्म’ को बहाल किया था।
ज्ञातव्य है कि विजयनगर साम्राज्य की स्थापना दक्षिण भारत के आधुनिक कर्नाटक राज्य में तुंगभद्रा नदी तट पर हुई थी। इसका असली नाम कर्नाट साम्राज्य था। इसकी स्थापना दो भाइयों हरिहर और बुक्का ने की थी। अपने पराक्रम के चलते दक्षिण के इतिहास की जब भी बात होती है तो विजयनगर साम्राज्य का जिक्र जरूर किया जाता है। तालीकोटा में हुए खतरनाक युद्ध में जीत के बाद मुस्लिमों ने राजधानी विजयनगर को लूट लिया था और इसी के साथ दक्षिण के अंतिम हिंदू साम्राज्य का अंत हो गया था।

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