डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में सेनेगल द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें इजरायल से 1967 से कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्रों, खासकर पूर्वी यरुशलम, से वापसी का आह्वान किया गया था। साथ ही, पश्चिम एशिया में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति की आवश्यकता को दोहराया गया।
157 देशों ने प्रस्ताव का किया समर्थन
इस प्रस्ताव को 193 सदस्यीय महासभा में भारी बहुमत से अपनाया गया। भारत उन 157 देशों में शामिल था जिन्होंने इसके पक्ष में मतदान किया। वहीं, अर्जेंटीना, हंगरी, इजरायल, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी और अमेरिका ने इसके खिलाफ मतदान किया। कैमरून, चेकिया, इक्वाडोर, जार्जिया, पैराग्वे, यूक्रेन और उरुग्वे अनुपस्थित रहे।
दो राज्य समाधान का समर्थन
प्रस्ताव में यह सुनिश्चित किया गया कि 1967 से पहले की सीमाओं के आधार पर इजरायल और फलस्तीन दोनों को शांति और सुरक्षा के साथ अपनी सीमाओं में रहने का अधिकार मिले। महासभा ने इसके साथ ही गाजा पट्टी में किसी भी जनसांख्यिकीय या क्षेत्रीय बदलाव को खारिज कर दिया।
इजरायल से अपनी क़ानूनी जिम्मेदारियों का पालन करने का आह्वान
इस प्रस्ताव में इजरायल से अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने कर्तव्यों का सख्ती से पालन करने की अपील की गई। 19 जुलाई 2024 को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की सलाहकार राय में इजरायल को फलस्तीनी क्षेत्रों से अपनी गैरकानूनी उपस्थिति समाप्त करने का आदेश दिया गया था।
गाजा पट्टी में हिंसा की समाप्ति की आवश्यकता
प्रस्ताव में गाजा पट्टी को 1967 से कब्जे वाले फलस्तीन का अभिन्न हिस्सा बताते हुए सैन्य हमलों, विनाश, आतंकी गतिविधियों और हिंसा को समाप्त करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
भारत ने गोलन हाइट्स पर भी प्रस्ताव के पक्ष में किया मतदान
भारत ने महासभा में एक और प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें गोलन हाइट्स से इजरायल को कब्जा छोड़ने की मांग की गई थी। यह प्रस्ताव 97 मतों से पारित हुआ, जबकि 64 देशों ने मतदान से परहेज किया और आठ देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया। इसके खिलाफ मतदान करने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इजरायल, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल थे।
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