डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया:महाकुंभ 2025 में संगम तट पर पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के बाद मंगलवार से पहला अमृत स्नान पर्व शुरू हो गया। इस पावन अवसर पर देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़े। मेला प्रशासन के अनुसार, सुबह 12 बजे तक 1.60 करोड़ से अधिक लोगों ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया।
नागा साधुओं का युद्ध कौशल
सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के साधु-संत अपने स्नान क्रम के अनुसार अमृत स्नान में शामिल हो रहे हैं। महानिर्वाणी अखाड़े के साधु-संत स्नान के लिए संगम पहुंचे। नागा साधुओं ने इस अवसर पर अपने युद्ध कौशल का प्रदर्शन कर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। घाटों पर लाखों लोग इस अद्भुत प्रदर्शन को देखने के लिए जुटे।
पहले राजसी स्नान पर श्रद्धालुओं का सैलाब
मेला प्रशासन ने अनुमान लगाया कि पहले राजसी स्नान पर्व पर ढाई करोड़ से अधिक श्रद्धालु पुण्य लाभ के लिए संगम में डुबकी लगाएंगे। संगम तट के साथ-साथ फाफामऊ से अरैल तक बने 44 स्नान घाटों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। हर तरफ जय श्रीराम, हर-हर महादेव और जय गंगा मैया के जयघोष गूंजते रहे।
सुरक्षा और प्रबंधन में प्रशासन का सहयोग
महाकुंभ नगर में सुरक्षा के लिए मेला प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए। हर मार्ग पर बैरिकेडिंग और वाहनों की जांच के साथ सुरक्षा बलों की चप्पे-चप्पे पर तैनाती रही। डीआईजी कुम्भ मेला वैभव कृष्ण और एसएसपी राजेश द्विवेदी ने पैदल मार्च कर अखाड़ों के मार्ग को सुगम बनाया।
श्रद्धा की डगर पर बढ़ते श्रद्धालु
संगम की ओर जाने वाली सभी सड़कें श्रद्धालुओं के कदमों से पाट दी गईं। वाहनों को छह से सात किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया, जिससे सड़कें पैदल यात्रियों के लिए रास्ता बन गईं। सिर पर गठरी, कंधे पर झोला, बच्चों और महिलाओं का हाथ थामे श्रद्धालु संगम की ओर बढ़ते रहे।
त्रिवेणी संगम पर आस्था का महासागर
मकर संक्रांति के महास्नान की पूर्व संध्या से ही प्रयागराज शहर और महाकुंभ नगर श्रद्धा के रंग में रंग चुका था। 12 किमी में फैले 44 स्नान घाटों पर आधी रात से ही लाखों श्रद्धालु पहुंच चुके थे। संगम तट पर तिल रखने की जगह नहीं बची थी। हर तरफ गगनभेदी जयघोष के बीच भक्त अपने ईष्ट को प्रणाम कर पुण्य की डुबकी लगा रहे थे। त्रिवेणी संगम के इस अद्भुत नजारे ने देश-दुनिया के श्रद्धालुओं को सनातन परंपराओं की अमिट छाप से सराबोर कर दिया।