धनबाद में स्कूल, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य संस्थान में चलाया जाएगा एमआर टीकाकरण अभियान : सभी बच्चों को टीका लगवाने की सिविल सर्जन ने की अपील
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एमआर अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर जिला स्तरीय मीडिया सेंसेटाईजेशन कार्यक्रम का आयोजन
9 माह से 15 वर्ष तक के आठ लाख से अधिक बच्चों को वैक्सीन देने का लक्ष्य
मिरर मीडिया : मिजिल्स रुबेला संक्रमण की रोकथाम के लिए मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आलोक विश्वकर्मा की अध्यक्षता में आज सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में एमआर अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर जिला स्तरीय मीडिया सेंसेटाईजेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस दौरान सिविल सर्जन ने कहा कि भारत सरकार ने इस वर्ष मिजिल्स रूबेला के उन्मूलन के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है। यह अभियान अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में शुरू होगा। जिसमें 9 महीने से लेकर 15 साल तक के जिले के लगभग आठ लाख से अधिक बच्चों का एमआर टीकाकरण निर्धारित है।
उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान सभी स्कूल, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य संस्थान में टीकाकरण किया जाएगा। इसके सफल क्रियान्वयन के लिए पत्रकार साथियों का सहयोग अपेक्षित है।
सिविल सर्जन ने बताया कि शत प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा माइक्रो प्लान बनाकर और प्रचार प्रसार से अधिक से अधिक लोगों तक इसकी जानकारी दिया जा रहा है ।
बैठक में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के डॉक्टर अमित कुमार तिवारी ने कहा कि अभियान के अंतर्गत 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को यह टीका लगाया जाएगा। अगर बच्चे ने पहले भी टीका लिया है तो भी उसे टीका दिया जाएगा। कहा खसरा रोग के सफाई तथा रूबेला को नियंत्रित करने के लिए बच्चों को यह टीका दिया जाना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने पत्रकार बंधुओं से आग्रह किया कि इस अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर लोगो के बीच सकारात्मक संदेश दे और साथ ही अभियान के दौरान आ रहे किसी भी प्रकार के नकारात्मक खबर को प्रकाशित करने से पहले स्वास्थ्य विभाग से एक बार अवश्य पुष्टि करा लें। उन्होंने पत्रकार बंधुओं से आग्रह किया कि अभियान के दौरान अगर किसी प्रकार की अफवाह आये तो अवश्य सूचित करें।
साथ ही बताया कि खसरा एक जानलेवा रोग है। यह वायरस द्वारा फैलता है। इसके कारण बच्चों में दिव्यांगता तथा असमय मृत्यु हो सकती है। वहीं रूबैला भी एक संक्रामक रोग है। यह भी वायरस द्वारा फैलता है। इसके लक्षण खसरा रोग जैसे होते हैं। यह लड़के या लड़की दोनों को संक्रमित कर सकता है। यदि कोई महिला गर्भावस्था के शुरुआती चरण में इससे संक्रमित हो जाए तो कंजेनिटल रूबैला सिंड्रोम (सीआरएस) हो सकता है जो उसके भ्रूण तथा नवजात शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
उन्होंने कहा खसरा रूबैला का टीका पूर्ण रूप से सुरक्षित है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। बच्चों को यह टीका एक प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी द्वारा लगाया जाएगा।
बैठक में सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के डॉक्टर अमित कुमार तिवारी, अलग-अलग संस्थानों से आए पत्रकार बंधु समेत स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मचारी मौजूद थे।